गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में ₹160 की बढ़ोतरी, क्या किसान खुश होंगे?
03 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में ₹160 की बढ़ोतरी, क्या किसान खुश होंगे? – मोदी सरकार ने रबी विपणन मौसम 2026-27 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है। गेहूं की एमएसपी को ₹2,425 से बढ़ाकर ₹2,585 प्रति क्विंटल कर दिया गया है। यानी किसानों को पिछले वर्ष की तुलना में ₹160 प्रति क्विंटल ज्यादा मिलेगा। सवाल यह है कि क्या यह बढ़ोतरी किसानों के लिए संतोषजनक होगी?
गेहूं का महत्व और किसान की अपेक्षाएँ
भारत में रबी सीजन की सबसे बड़ी फसल गेहूं है। किसानों की नजरें हमेशा इसके दाम पर टिकी रहती हैं क्योंकि देश के करोड़ों परिवारों की रोटी गेहूं से ही जुड़ी है। इस बार सरकार ने 6.6 प्रतिशत की वृद्धि की है। यह बढ़ोतरी राहत देने वाली है, लेकिन डीज़ल, खाद, बीज और मजदूरी की बढ़ती लागत को देखते हुए किसान और भी अधिक समर्थन की उम्मीद कर रहे थे।
लागत और लाभ की गणना
कृषि मंत्रालय के अनुसार गेहूं की खेती की औसत लागत ₹28,037.18 प्रति हेक्टेयर है। औसतन उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। यदि किसान को 25 क्विंटल उपज मिलती है तो उसकी कुल आमदनी लगभग ₹64,625 होगी। लागत निकालने के बाद शुद्ध लाभ ₹36,588 रहेगा, जो करीब 130 प्रतिशत है। यदि उपज 30 क्विंटल होती है तो आमदनी लगभग ₹77,550 होगी और शुद्ध लाभ ₹49,513 तक पहुँच जाएगा, जो लगभग 177 प्रतिशत है।
किसानों की चुनौती और लाभ बढ़ाने की राह
कई किसान संगठन मानते हैं कि सरकार द्वारा घोषित लागत वास्तविकता से कम है। कई इलाकों में सिंचाई, खाद और श्रमिकों पर खर्च अधिक आता है। यही कारण है कि किसान अक्सर लागत के आंकड़े पर सवाल उठाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को लाभ अधिक करने के लिए केवल एमएसपी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि खेती की लागत कम करने की दिशा में भी प्रयास करने चाहिए। संतुलित उर्वरक प्रयोग, नई तकनीकों का उपयोग, उच्च गुणवत्ता वाले बीज और बेहतर जल प्रबंधन जैसे उपाय अपनाकर किसान अपनी आय को और अधिक सुरक्षित और लाभकारी बना सकते हैं।
अन्य रबी फसलों की स्थिति
इस वर्ष गेहूं के अलावा सभी प्रमुख रबी फसलों की एमएसपी में भी वृद्धि हुई है। जौ की एमएसपी में 170 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है और यह अब 2,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है, जो 8.6 प्रतिशत की वृद्धि है। चना को 225 रुपये की बढ़ोतरी मिली है और उसकी एमएसपी 5,875 रुपये तक पहुँची है, लेकिन इसमें वृद्धि केवल 3.9 प्रतिशत रही है। मसूर की एमएसपी 6,700 रुपये से बढ़कर 7,000 रुपये हुई है और इसमें 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। रेपसीड और सरसों की कीमतें 250 रुपये बढ़कर 6,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं, जो 4.2 प्रतिशत की वृद्धि है। सबसे बड़ी बढ़ोतरी कुसुम्भ में हुई है जिसकी एमएसपी 600 रुपये बढ़कर 6,540 रुपये हो गई है और इसमें 10.1 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि हुई है।
फसल | एमएसपी 2025-26 (₹/क्विंटल) | एमएसपी 2026-27 (₹/क्विंटल) | वृद्धि (₹) | वृद्धि (%) |
---|---|---|---|---|
गेहूं | 2,425 | 2,585 | 160 | 6.60% |
जौ | 1,980 | 2,150 | 170 | 8.59% |
चना | 5,650 | 5,875 | 225 | 3.98% |
मसूर | 6,700 | 7,000 | 300 | 4.48% |
रेपसीड और सरसों | 5,950 | 6,200 | 250 | 4.20% |
कुसुम्भ | 5,940 | 6,540 | 600 | 10.10% |
समग्र तस्वीर
यह साफ दिखाई देता है कि इस बार तिलहन और मोटे अनाज जैसी फसलों को अपेक्षाकृत अधिक समर्थन मिला है जबकि दालों की बढ़ोतरी सीमित रही है। सरकार ने गेहूं और जौ में किसानों को अच्छा सहारा दिया है, लेकिन चना और मसूर जैसी दालों के मामले में किसान अधिक प्रोत्साहन की अपेक्षा कर रहे थे।
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