राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

MSP पर तेज हुई किसानों की फसल खरीद, तुअर से लेकर चना तक सरकार की नई योजना!

28 मार्च 2025, नई दिल्ली: MSP पर तेज हुई किसानों की फसल खरीद, तुअर से लेकर चना तक सरकार की नई योजना! – केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया है कि केंद्र सरकार किसानों से उनकी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद रही है। उनका कहना है कि खास तौर पर तुअर (अरहर) जैसी दालों की खरीद में तेजी आई है, जिससे किसानों को फायदा हो रहा है। यह बयान तब आया है, जब सरकार ने दालों में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को लेकर कई बड़े ऐलान किए हैं।

श्री चौहान के मुताबिक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में नैफेड और एनसीसीएफ के जरिए MSP पर तुअर की खरीद चल रही है। 25 मार्च 2025 तक इन राज्यों में 2.46 लाख मीट्रिक टन तुअर खरीदी जा चुकी है, जिससे 1,71,569 किसानों को लाभ मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश में तुअर की कीमतें अभी MSP से ऊपर चल रही हैं, जिससे वहां खरीद की जरूरत कम पड़ी है।

Advertisement
Advertisement

2028-29 तक 100% खरीद का लक्ष्य

कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने बजट 2025 में अगले चार साल तक यानी 2028-29 तक तुअर, उड़द और मसूर की 100% खरीद का फैसला किया है। इसके लिए खरीफ 2024-25 सीजन में 9 राज्यों में तुअर खरीद को मंजूरी दी गई है। कर्नाटक में खरीद की अवधि को 90 दिन से बढ़ाकर 1 मई तक करने का भी ऐलान हुआ है। वहीं, रबी मार्केटिंग सीजन (आरएमएस) 2025 के लिए चना, सरसों और मसूर की खरीद को भी हरी झंडी मिली है।

शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि पीएम-आशा योजना को 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है। इसके तहत दालों और तिलहनों की खरीद MSP पर जारी रहेगी। चने की स्वीकृत मात्रा 27.99 लाख मीट्रिक टन, सरसों की 28.28 लाख मीट्रिक टन और मसूर की 9.40 लाख मीट्रिक टन रखी गई है। तमिलनाडु में खोपरा की खरीद को भी मंजूरी दी गई है।

Advertisement8
Advertisement

राज्य सरकारों से अपील

कृषि मंत्री ने सभी राज्य सरकारों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि MSP से नीचे कोई खरीद न हो। उनका कहना है, “हमारा उद्देश्य किसानों को फायदा पहुंचाना है और इसके लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।” सरकार ने खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए नैफेड और एनसीसीएफ के पोर्टल्स का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया है।

Advertisement8
Advertisement

क्या कहते हैं आंकड़े?

हालांकि सरकार के दावे बड़े हैं, लेकिन जमीनी हकीकत पर सवाल उठते रहे हैं। कई किसान संगठनों का कहना है कि MSP पर खरीद का लाभ सभी तक नहीं पहुंच पाता। खरीद केंद्रों की कमी, पंजीकरण में देरी और बिचौलियों की भूमिका जैसे मुद्दे अब भी बने हुए हैं। ऐसे में यह देखना बाकी है कि सरकार का यह अभियान कितना कारगर साबित होता है।

फिलहाल, दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में यह कदम उठाया जा रहा है। लेकिन क्या यह किसानों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा, यह वक्त ही बताएगा।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

Advertisement8
Advertisement

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement