राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

कश्मीर के सेब संकट में: आयात शुल्क घटा तो क्या होगा?

25 मार्च 2025, नई दिल्ली: कश्मीर के सेब संकट में: आयात शुल्क घटा तो क्या होगा? – कश्मीर घाटी में सेब पर आयात शुल्क कम करने की बात चल रही है, और वहां के स्थानीय किसान अपने उद्योग के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री से गुहार लगाई है कि बाहर से आने वाले सेबों पर रोक लगाने के लिए कुछ कदम उठाए जाएं। अभी तक ऊंचा आयात शुल्क भारतीय सेबों का बचाव करता आया है, जिसकी वजह से गुणवत्ता और पैदावार में कमियों के बावजूद वे बाजार में टिके हुए हैं। लेकिन अगर शुल्क कम हुआ, तो डर है कि विदेशों से आने वाले बेहतर सेबों से मुकाबला मुश्किल हो जाएगा।

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मीर खुर्रम शफी, जो क्यूल (Qul) के संस्थापक और सीईओ हैं, पिछले दस साल से ज्यादा समय से कहते आ रहे हैं कि हमें संरक्षणवादी नीतियों के भरोसे नहीं बैठना चाहिए। 2011-12 में FEEL किसान कार्यक्रमों के दौरान उन्होंने बताया था कि कश्मीर के सेब उद्योग को अपनी गुणवत्ता सुधारनी होगी, पैदावार बढ़ानी होगी और नई तकनीकों का इस्तेमाल करना होगा। शफी लंबे वक्त से उच्च घनत्व वाले सेब के बागानों की वकालत करते रहे हैं, और जम्मू-कश्मीर में जिन किसानों ने इसे अपनाया, उन्हें अच्छे नतीजे मिले हैं।

उनकी बातें हार्वर्ड के एक अध्ययन में भी शामिल हुईं, जहां उन्होंने बताया कि भारत में लोग अब सेब से क्या चाहते हैं, वो बदल गया है। उनका कहना था, “बाहर से आने वाले फलों ने लोगों की सोच बदल दी है। अब लोग सेब में एक जैसा आकार, रंग और स्वाद चाहते हैं, बिना किसी दाग-धब्बे के।” अफसोस की बात ये है कि हमारे देश के सेबों को विदेशी सेबों के मुकाबले कमतर समझा जाता है।

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उन्होंने ये भी कहा कि कश्मीर में जितने सेब पैदा होते हैं, उनमें से सिर्फ 25% ही बेहतरीन क्वालिटी के होते हैं, जबकि इटली जैसे देशों में ये आंकड़ा 80% तक पहुंचता है। फिर भी, 50% के आयात शुल्क की वजह से हमारे सेब बाजार में अपनी जगह बनाए हुए हैं। लेकिन शफी ने आगाह किया कि विश्व व्यापार संगठन के साथ कोई डील हुई, तो हो सकता है ये शुल्क कम हो जाए और बदले में हमारे आम जैसे फलों को विदेशी बाजारों में ज्यादा जगह मिले।

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शफी ने जोर देकर कहा कि वक्त रहते कदम उठाना जरूरी है। उन्होंने किसानों से अपील की, “जिन्होंने अभी तक नई तकनीक नहीं अपनाई, उन्हें अब बदलना होगा।” क्यूल के मिशन को दोहराते हुए उन्होंने कहा, “हमारा मकसद है कि गुणवत्ता पर ध्यान देकर और उच्च घनत्व वाले बागानों को बढ़ावा देकर कश्मीर का सेब उद्योग इतना मजबूत हो जाए कि दुनिया के किसी भी मुकाबले में खड़ा रह सके।”

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