भारत का एआई आधारित मौसम पूर्वानुमान मॉडल: 3.8 करोड़ किसानों तक समय से पहले पहुँची मानसून की खबर
15 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: भारत का एआई आधारित मौसम पूर्वानुमान मॉडल: 3.8 करोड़ किसानों तक समय से पहले पहुँची मानसून की खबर – कृषि में सबसे बड़ी चिंता किसानों के लिए मौसम ही होती है। खासकर खरीफ की खेती पूरी तरह बारिश पर निर्भर करती है। अगर समय से पहले मानसून की जानकारी मिल जाए तो किसान यह तय कर सकते हैं कि कौन-सी फसल बोनी है, कितनी बोनी है और कब बोनी है। अब यह संभव हो गया है, क्योंकि भारत सरकार ने किसानों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित मौसम पूर्वानुमान शुरू किया है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (MoAFW) ने इस साल 13 राज्यों के लगभग 3.8 करोड़ किसानों को एसएमएस (m-Kisan) के ज़रिए एआई आधारित मानसून पूर्वानुमान भेजा। सबसे खास बात यह रही कि यह जानकारी बारिश आने से करीब चार हफ्ते पहले ही उपलब्ध करा दी गई। यानी किसान पहले से ही खरीफ की खेती का बेहतर निर्णय ले सके। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रयास है जिसमें किसानों को सीधा एआई आधारित मौसम की जानकारी दी गई।
किसानों को समय पर मदद
इस साल मानसून समय से पहले आया, लेकिन बीच में करीब 20 दिन तक बारिश थम गई। एआई आधारित पूर्वानुमान ने इस रुकावट को सही समय पर पहचान लिया और सरकार ने हर हफ्ते किसानों को अपडेट भेजा, जब तक कि उनके क्षेत्र में लगातार बारिश शुरू नहीं हो गई।
संयुक्त सचिव श्री संजय कुमार अग्रवाल ने कहा, “जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन से मौसम की अनिश्चितता बढ़ रही है, वैसे-वैसे किसानों के लिए पूर्वानुमान और भी ज़रूरी हो गया है। यह किसानों को बदलते मौसम के अनुसार खुद को ढालने में मदद करेगा।”
एआई से मौसम पूर्वानुमान में क्रांति
साल 2022 से एआई आधारित तकनीक ने मौसम पूर्वानुमान की सटीकता में बड़ी क्रांति ला दी है। अब मानसून जैसे जटिल मौसम पैटर्न को भी हफ्तों पहले समझा और बताया जा सकता है।
भारत सरकार ने किसानों के लिए दो वैश्विक मॉडल का इस्तेमाल किया—
- गूगल का Neural GCM मॉडल
- ECMWF का Artificial Intelligence Forecasting Systems (AIFS)
इन दोनों मॉडलों ने पारंपरिक पूर्वानुमानों की तुलना में कहीं बेहतर प्रदर्शन किया और मानसून की शुरुआत को ज़्यादा सटीकता से बताया।
किसानों के लिए आसान भाषा में संदेश
मंत्रालय ने Development Innovation Lab – India और Precision Development जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर किसानों तक यह जानकारी पहुँचाई। सबसे महत्वपूर्ण यह रहा कि संदेश आसान भाषा में भेजे गए ताकि किसान उन्हें तुरंत समझकर अपने खेतों में उपयोग कर सकें।
नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा, “यह पहल बेहद अहम है क्योंकि यह सीधे किसानों की ज़रूरत को ध्यान में रखकर मौसम की जानकारी देती है और उन्हें सही निर्णय लेने में मदद करती है।”
नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल क्रेमर ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “यह भारत की बड़ी उपलब्धि है, जिसने करोड़ों किसानों को लाभ पहुँचाया है और एआई के इस युग में लोगों को सबसे पहले रखने का उदाहरण पेश किया है।”
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