ICAR- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने लॉन्च की कपास की 05 नई किस्में, जानिए उनकी खासियतें
16 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: ICAR- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने लॉन्च की कपास की 05 नई किस्में, जानिए उनकी खासियतें – ICAR- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों के लिए कपास की 05 नई किस्में लॉन्च की हैं। इन नई किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों में विकसित किया गया है। इन किस्मों को देश के विभिन्न राज्यों के लिए अनुकूलित किया गया है, इन किस्मों को विशेष रूप से भारत के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है, जिससे देश के अलग-अलग हिस्सों के किसान अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इनमें से चुन सकें। आगामी सीजन में किसानों के लिए कपास की पांच नई किस्में विशेष रूप से फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
कपास की पांच नई किस्में
‘CICR-H Bt कपास 65 (ICAR -CICR 18 Bt)’ कपास की नई किस्म एक हाइब्रिड किस्म है, जिसे विशेष रूप से सेंट्रल जोन के लिए अनुशंसित किया गया है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह वर्षा आधारित स्थिति के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज क्षमता 15.47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और इसकी मैच्योरिटी 140-150 दिन की है। यह किस्म अधिकांश रोगों के लिए प्रतिरोधी है जैसे, जैसिड्स, थ्रिप्स, व्हाइटफ्लाई, एफिड्स के लिए प्रतिरोधी, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट, ग्रे फफूंदी के प्रति सहनशील। इस किस्म को आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च, नागपुर, महाराष्ट्र द्वारा स्पोंसर किया गया है।
‘CICR- H Bt कपास 40 (ICAR-CICR- PKV 081 Bt)’ भी कपास की एक हाइब्रिड किस्म है, जिसे विशेष रूप से साउथ जोन के लिए अनुशंसित किया गया है। यह भी वर्षा आधारित स्थिति के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज क्षमता 17.30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और इसकी मैच्योरिटी 140 से 150 दिन की है। यह किस्म अधिकांश रोगों के लिए प्रतिरोधी है जैसे, बैक्टीरियल ब्लाइट, ग्रे फफूंदी, अल्टरनेरिया, कोरिनोस्पोरा लीफ स्पॉट, मायरोथसियम, अधिकांश कीटों के प्रति सहनशील; जैसिड्स, एफिड्स, थ्रिप्स, लीफ हॉपर। इस किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय कपड़ा अनुसंधान संस्थान, नागपुर, महाराष्ट्र दक्षिण क्षेत्र द्वारा स्पोंसर किया गया है।
तीसरी नई किस्म ‘ Shalini (CNH 17395) (CICR-H कपास 58)’ है, जो कपास की एक हाइब्रिड किस्म है, । इसे विशेष रूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के लिए अनुशंसित किया गया है। इसकी खास बात यह है कि यह वर्षा आधारित खरीफ की स्थिति के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 14.41 क्विंटल/हेक्टेयर है और इसकी मैच्योरिटी 127 दिन की है। इस किस्म में उच्च तेल सामग्री (34.3%) है और फ्यूजेरियम विल्ट के प्रति प्रतिरोधी, अत्यधिक संवेदनशील एफिड संक्रमण के प्रति मध्यम सहिष्णु है। इस किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय कपड़ा अनुसंधान संस्थान, नागपुर, महाराष्ट्र द्वारा स्पोंसर किया गया है।
‘CNH-18529 (CICR-H NC कपास 64)’ भी कपास की एक हाइब्रिड किस्म है। इसे छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में खेती के लिए तैयार किया गया है। यह किस्म मध्य क्षेत्र की वर्षा आधारित और सिंचित स्थितियों के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 10.11 क्विंटल/हेक्टेयर है और इसकी मैच्योरिटी 160 से 165 दिन की है। इस किस्म का प्राकृतिक रूप से भूरा रंग है। यह हथकरघा बुनाई के लिए उपयुक्त है और चूसने वाले कीटों, बॉलवर्म के प्रति सहनशील है अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, बैक्टीरियल ब्लाइट, कोरिनेस्पोरा पत्ती धब्बा के लिए रोग प्रतिरोधी है। इस किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, नागपुर, महाराष्ट्र द्वारा स्पोंसर किया गया है।
अंत में, ‘PDKV Dhawal (AKA-2013-8)’ भी कपास की एक हाइब्रिड किस्म है। इसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में खेती के लिए तैयार किया गया है। यह किस्म वर्षा आधारित स्थिति में समय पर बुआई के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 12.84 क्विंटल/हेक्टेयर है और इसकी मैच्योरिटी 160-180 दिन की है। यह किस्म लीफ हॉपर, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति सहनशील, मायरोथेसियम पत्ती धब्बा, अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, ग्रे फफूंदी के प्रति प्रतिरोधी है। इस किस्म को कपास पर एआईसीआरपी, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला, महाराष्ट्र द्वारा स्पोंसर किया गया है।
सफेद जूट की नई किस्म
सफेद जूट की नई किस्म ‘ JRC 9′ भी इस सूची में शामिल है, जिसे विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा और असम के लिए अनुशंसित किया गया है। इस किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय जूट और संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता, पश्चिम बंगाल द्वारा स्पोंसर किया गया है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह समय पर बुआई के लिए उपयुक्त, वर्षा आधारित/सिंचित स्थिति के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज क्षमता 31.97 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और इसकी मैच्योरिटी 110 – 120 दिन ( रेशा), 120-130 दिन (बीज) की है। इस किस्म में रेशे की सूक्ष्मता – 1.74 टेक्स, रेशे की ताकत – 13.88 ग्राम/टेक्स है। यह किस्म तना सड़न और जड़ सड़न के प्रति सहनशील, पीले घुन के प्रति सहनशील, बिहार बालों वाली कैटरपिलर, जूट सेमीलूपर के प्रति प्रतिरोधी है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित ये उन्नत किस्में किसानों के लिए आगामी सीजन में एक स्थिर और लाभकारी विकल्प प्रदान करती हैं, जो उन्हें आधुनिक कृषि पद्धतियों के साथ अधिक प्रतिस्पर्धी और लाभकारी बनाएंगी।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: