राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

ऊंटों की आबादी में गिरावट

  • (नई दिल्ली से निमिष गंगराड़े)

1 जनवरी 2023,  ऊंटों की आबादी में गिरावट – 19वीं पशुधन संगणना (2012) की तुलना में 20वीं पशुधन संगणना में ऊंटों की आबादी 4 लाख से घटकर  2 लाख 52 हजार रह गई है। ये चौकाने वाले आंकड़े हाल ही में सम्पन्न हुई लोकसभा में पशुपालन मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने दिए। इस प्रकार ऊंटों की संख्या में 37 प्रतिशत की कमी हो गई। भारत की लगभग 84 प्रतिशत ऊंट आबादी राजस्थान में रहती है। वहीं गुजरात में ऊंटों की आबादी कुल देश की आबादी का 11 प्रतिशत है। ऊंटों की आबादी में हुई कमी के मुख्य कारण में प्रमुख कारण है कृषि क्षेत्र के लगातार बढ़ते मशीनीकरण में ऊंट की उपयोगिता को कम कर दिया है। अधिकांश आंतरिक क्षेत्र पक्की सडक़ों से जुड़े हुए हैं और एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आने के लिए ऊंटों पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो रही है।

चारागाह में कमी : राजस्थान के बाड़मेर, बीकानेर, चुरू, हमुमानगढ़, जैसलमेर, जोधपुर और श्रीगंगानगर जिलों में इंदिरा गांधी नहर सिंचाई परियोजना की स्थापना के कारण चारागाह भूमि में कमी आई है। ये चारागाह ऊंटों के लिए चारे का मुख्य स्रोत वन क्षेत्रों में प्रतिबंधों के कारण ऊंट पालकों के लिए ऊंटों को चारा उपलब्ध कराना कठिन हो गया है।

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अंतर्राज्यीय व्यापार पर रोक : ऊंटों की घटती आबादी को बढ़ाने राजस्थान सरकार ने ऊंट को अपने राज्य पशु के रूप में घोषित किया है और राजस्थान ऊंट (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन या निर्यात का विनियमन) विधेयक 2015 लागू किया है। राजस्थान ऊंट अधिनियम 2015 के तहत ऊंट को राज्य से बाहर निकालने या उसके अस्थायी प्रव्रजन और उसके वध पर प्रतिबंध है। इस विधेयक के लागू होने के कारण ऊंटों के अंतर्राज्यीय व्यापार पर रोक है। साथ ही ऊंट पालने वालों की युवा पीढ़ी अपनी उच्च शिक्षा और ऊंट पालन में संभावनाओं की कमी के कारण खुद को इससे दूर कर रही है।

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