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राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

स्वामीनाथन जी के मार्ग पर चलकर भारत भूख और अभाव को कभी नहीं होने देगा: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान

07 अगस्त 2025, नई दिल्ली: स्वामीनाथन जी के मार्ग पर चलकर भारत भूख और अभाव को कभी नहीं होने देगा: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ICAR-पूसा परिसर, नई दिल्ली में भारत रत्न डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समारोह की अध्यक्षता की।

उद्घाटन समारोह में चौहान ने डॉ. स्वामीनाथन की विरासत को याद करते हुए कहा, “दूसरों के लिए जीना ही सच्चा जीवन है। स्वामीनाथन ने पूरी जिंदगी किसानों, विज्ञान और समाज को समर्पित कर दी। यदि हम उनके मार्ग पर चलते रहेंगे तो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में भूख और अभाव खत्म किया जा सकता है।”

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चौहान ने बंगाल के 1942-43 के अकाल का ज़िक्र करते हुए बताया कि कैसे उस विपत्ति ने स्वामीनाथन को प्रभावित किया और उन्होंने कृषि विज्ञान के माध्यम से भूख मिटाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। “1966 में जब भारत में मैक्सिको से 18,000 टन गेहूं आया था, स्वामीनाथन ने पंजाब की किस्मों के साथ इसका संकरण कर एक नई संकर किस्म विकसित की। इसके परिणामस्वरूप गेहूं का उत्पादन एक साल में 5 मिलियन टन से बढ़कर 17 मिलियन टन हो गया, जो हरित क्रांति की नींव थी।”

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कृषि विज्ञान और किसानों को जोड़ने के महत्व पर बल देते हुए चौहान ने कहा, “एक साल पहले प्रधानमंत्री ने हमें यहां निर्देश दिया था कि लैब को जमीन से जोड़ना होगा। जब तक विज्ञान और किसान साथ नहीं आएंगे, तब तक कृषि सही दिशा में आगे नहीं बढ़ेगी। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से कई अभियान शुरू हुए हैं, जिनमें कृषि चौपाल और विकसित कृषि संकल्प अभियान शामिल हैं।”

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विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत 2170 वैज्ञानिक टीमों ने 64,000 से अधिक गांवों का दौरा किया और 1 करोड़ से ज्यादा किसानों से सीधे संवाद किया।

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चौहान ने कहा कि देश में खाद्यान्न की स्थिति बेहतर हुई है। “हम चावल में सरप्लस हैं, गेहूं में आत्मनिर्भर हैं, और भंडारण क्षमता बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है।”

उन्होंने दलहन और तिलहन की उत्पादकता बढ़ाने पर भी जोर दिया, जिसमें सोयाबीन, मूंगफली, सरसों, तिल, चना, मसूर, उड़द, अरहर जैसे फसलों को शामिल किया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने प्राकृतिक कृषि मिशन की शुरुआत की भी घोषणा की। “आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और पोषक खाद्य उत्पादन सुनिश्चित करने हेतु इस मिशन के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टिकोण से काम किया जा रहा है।”

यह तीन दिवसीय सम्मेलन 7 से 9 अगस्त, 2025 तक आयोजित किया गया है, जो डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के जन्मशती के अवसर पर आयोजित है। इसे एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन, कृषि मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के सहयोग से आयोजित किया गया है।

सम्मेलन का विषय है “सदाबहार क्रांति – जैव-सुख का मार्ग”, जो डॉ. स्वामीनाथन के सतत और समावेशी कृषि विकास के दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस अवसर पर मंत्री ने डॉ. स्वामीनाथन के जीवन और उनके योगदानों पर आधारित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

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