कम्पनी समाचार (Industry News)

सिंजेंटा का सोयाबीन तना मक्खी जागरूकता अभियान आरम्भ

20 जुलाई 2024, इंदौर: सिंजेंटा का सोयाबीन तना मक्खी जागरूकता अभियान आरम्भ – देश की प्रसिद्ध कीटनाशक कम्पनी सिंजेंटा इंडिया लि ने एनजीओ आईआरएफटी ( इंटरनेशनल रिसोर्सेस फॉर फेयरर ट्रेड ) के साथ मिलकर सोयाबीन तना मक्खी प्रबंधन अभियान के तहत जागरूकता आरम्भ किया है। इसमें धार और इंदौर जिले के किसानों को सोयाबीन तना मक्खी के प्रति जागरूक किया जाएगा। शुक्रवार को भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान , इंदौर से  प्रचार अभियान की दो वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।

उल्लेखनीय है कि तना  मक्खी जागरूकता अभियान  के तहत इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य तना मक्खी के हमले से किसानों की समस्याओं को समझना और उन्हें केवीके और सोयाबीन  अनुसंधान केंद्र इंदौर से जानकारी प्रदान  कर धार और इंदौर जिले में किसानों के बीच वैन संचालन के माध्यम से जागरूकता फैलाना है। किसानों को तना मक्खी की चरम संक्रमण अवधि में विशेष सावधानी रखने के प्रति जागरूक किया जाएगा।  शुक्रवार को भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान , इंदौर के परिसर में आयोजित इस  कार्यक्रम में सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ के एच सिंह, सहायक संचालक कृषि श्री गोपेश पाठक, सिंजेंटा की ओर से  डिवीजनल मैनेजर सेन्ट्रल श्री प्रीतपाल सिंह ,डिवीजनल  मार्केटिंग मैनेजर श्री सचिन उपाध्याय, टीएमडी मैनेजर श्री मिलिंद बेड़ेकर सहित अन्य लोग उपस्थित थे। संस्थान के निदेशक डॉ  सिंह की उपस्थिति में श्री प्रीतपाल सिंह और श्री पाठक द्वारा हरी झंडी दिखाकर दो प्रचार वैन को धार और इंदौर जिले के लिए रवाना किया गया।

सोयाबीन तना मक्खी प्रबंधन क्यों ज़रूरी है ? – सोयाबीन की बुवाई के 4 सप्ताह बाद तना मक्खी का हमला होता है। यह फसल  का सबसे संवेदनशील चरण होता  है ,क्योंकि इससे 40 % तक उपज की हानि हो सकती है। पत्तों के डंठल सूखने लगते हैं। यह कीट पौधों की डंडी के अंदर छेद कर पौधों या शाखाओं को गिरा देता है। ख़ास बात यह है कि तना मक्खी द्वारा डंठल और डंडी में लार्वा द्वारा की गई इस हानि को पहचानना कठिन हो जाता है, क्योंकि  हानि होने के बाद ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं और इसका इसका फैलाव भी बहुत तेज़ी से होता है। गंभीर मामलों में पौधे मुरझा जाते हैं , जिससे उपज में कमी आ जाती है।

तना मक्खी  प्रबंधन कार्यक्रम के उपाय – सोयाबीन फसल में अंकुर अवस्था के 7 दिन से लेकर पौधे की शाकीय , फूलने और फली भरने की अवस्था के क्रमशः 15 ,18 ,35 , 65 और 110 दिन की इस फसल अवधि में अनुशंसित मात्रा में समय -समय पर निर्देशित कीटनाशक का छिड़काव करने से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

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