जायद मौसम की सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व फसलों की देखà¤à¤¾à¤²
8 मारà¥à¤š, 2021, à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² । जायद मौसम की सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व फसलों की देखà¤à¤¾à¤² – जायद मौसम में मूंग, उड़द, à¤à¤¿à¤£à¥à¤¡à¥€, तोरई, करेला, लौकी, खीरा, ककड़ी, तरबूज आदि फसलें पà¥à¤°à¤®à¥à¤–ता से ली जाती हैं। ये फसलें फरवरी-मारà¥à¤š में बोई जाती हैं। तथा 15 जून तक पककर तैयार हो जाती हैं। उनà¥à¤¨à¤¤ तकनीकी का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने के बावजूद कृषक जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पैदावार नहीं ले पाते इसका à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण अधिक तापमान व गरà¥à¤® हवाओं का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ व कीट वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤•ोप है। उनà¥à¤¨à¤¤ ससà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन व पौध संरकà¥à¤·à¤£ अपनाकर इन फसलों से अधिक लाठलिया जा सकता है।
उनà¥à¤¨à¤¤ ससà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन
सिंचाई हेतॠनालियों à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ करें। सामानà¥à¤¯ तौर पर मई-जून में 7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें तथा सिंचाई का समय सà¥à¤¬à¤¹ अथवा शाम रखें।
जायद मौसम में सिंचाई अधिक करने से खरपतवारों की à¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ रहती है अत: समय-समय पर निंदाई-गà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤ˆ करें। इससे खेत की पपड़ी टूट जाती है तथा पौधों का विकास à¤à¥€ तेजी से होता है। गà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤ˆ के बाद मिटà¥à¤Ÿà¥€ को à¤à¥à¤°à¤à¥à¤°à¤¾ बनाकर पौधों की जड़ों पर चढ़ायें। यूरिया की बची हà¥à¤ˆ मातà¥à¤°à¤¾ का 1/4 à¤à¤¾à¤— बà¥à¤†à¤ˆ के 20-25 दिन बाद देकर मिटà¥à¤Ÿà¥€ चढा देते हैं व शेष मातà¥à¤°à¤¾ बà¥à¤†à¤ˆ के 40 दिन बाद सिंचाई करने के बाद टापडेà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤‚ग के रूप में दें।
कदà¥à¤¦à¥‚वरà¥à¤—ीय सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का गरà¥à¤®à¥€ से बचाव
जायद की सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के जो फल दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा की ओर होते हैं, उनमें विशेष रूप से सूरà¥à¤¯ की गरà¥à¤®à¥€ से à¤à¥à¤²à¤¸à¤¨ आ जाती है, जिसे सन-सà¥à¤•à¥à¤°à¥‡à¤šà¤¿à¤‚ग कहते हैं। इससे बचाव हेतॠकिसान à¤à¤¾à¤ˆ फलों को घास-फूस से ढक दें तथा नियमित अंतराल से सिंचाई करें।
इन सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के फलों को नियमित रूप से तोड़कर बाजार में विकà¥à¤°à¤¯ हेतॠà¤à¥‡à¤œà¥‡à¤‚ तथा फूल आते समय 70 किगà¥à¤°à¤¾. यूरिया/हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° के मान से दें। फल मकà¥à¤–ी व कदà¥à¤¦à¥‚ का लाल कीड़ा नामक कीटों के नियंतà¥à¤°à¤£ हेतॠकà¥à¤µà¤¿à¤¨à¤¾à¤²à¤«à¥‰à¤¸ 20 ईसी की 1000 मिली मातà¥à¤°à¤¾ 500 लीटर पानी में घोलकर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° के मान से छिड़काव करें। परà¥à¤£ à¤à¥à¤²à¤¸à¤¨ रोग (पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर कोणीय या गोल à¤à¥‚रे रंग के धबà¥à¤¬à¥‡) के लकà¥à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤•ट होने पर मेंकोजेब की 2 गà¥à¤°à¤¾à¤® अथवा कारà¥à¤¬à¥‡à¤‚डाजिम की à¤à¤• गà¥à¤°à¤¾à¤® मातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
मूंग-उड़द की देखà¤à¤¾à¤²
मूंग व उड़द की फसल में पीला मोजेक, à¤à¤à¥‚तिया रोग व फली छेदक कीट का पà¥à¤°à¤•ोप मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤: होता है। पीला मोजेक à¤à¤• विषाणॠजनित रोग है, जो सफेद मकà¥à¤–ी नामक कीट दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ फैलता है। रोग कारक पौधे की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में हरे परà¥à¤£à¤°à¤¿à¤® के बीच-बीच में पीले दाग बनते हैं जो आपस में मिलकर पूरी पतà¥à¤¤à¥€ को सà¥à¤–ा देते हैं। यह रोग सफेद मकà¥à¤–ी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ फैलता है अत: खड़ी फसल में सफेद मकà¥à¤–ी के नियंतà¥à¤°à¤£ हेतॠइमिडाकà¥à¤²à¥‹à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¡ 17.6 à¤à¤¸à¤à¤² की 150 मिली मातà¥à¤°à¤¾ अथवा à¤à¤¸à¤¿à¤Ÿà¤¾à¤®à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¡ की 150 गà¥à¤°à¤¾à¤® मातà¥à¤°à¤¾ अथवा थायोमिथोकà¥à¤œà¥‡à¤® 25 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ की 100 गà¥à¤°à¤¾à¤® मातà¥à¤°à¤¾ को 500 ली. पानी में मिलाकर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤°à¤¼ के मान से छिड़काव करें।
फली छेदक कीट, फलियों के दानों को नà¥à¤•सान पहà¥à¤‚चाता है, इनके नियंतà¥à¤°à¤£ हेतॠरैनेकà¥à¤¸à¥€à¤ªà¤¾à¤¯à¤¾à¤° (कोराजेन) 75 मिली पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हेकà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤° के मान से छिड़काव करें।
à¤à¤à¥‚तिया रोग में पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर सफेद चूरà¥à¤£ की सतह दिखाई देती है, यह चूरà¥à¤£ रोगकारक फफूंद के बीजाणॠव कवकजाल होता है। परà¥à¤£ दाग रोग में गहरे à¤à¥‚रे धबà¥à¤¬à¥‡ पशà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर बनते हैं जो बाद में लाल रंग के हो जाते हैं। दोनों ही रोगों के नियंतà¥à¤°à¤£ हेतॠकारà¥à¤¬à¥‡à¤¨à¥à¤¡à¤¾à¤œà¤¿à¤® की 250 गà¥à¤°à¤¾à¤® मातà¥à¤°à¤¾ 200 लीटर पानी में घोलकर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤•ड़ के मान से छिड़काव करें।
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