ये हैं बंपर पैदावार देने वाली चने की बेस्ट 5 उन्नत किस्में, जानिए इसकी खासियत
01 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: ये हैं बंपर पैदावार देने वाली चने की बेस्ट 5 उन्नत किस्में, जानिए इसकी खासियत – रबी सीजन की शुरुआत होते ही किसान अपने खेतों में फसलों की तैयारी में लग जाते हैं। इस मौसम में चना एक प्रमुख फसल है, जो सही किस्म और अच्छी खेती के साथ बंपर पैदावार दे सकती है। हालांकि, अक्सर यह सवाल परेशान करता है कि कौन-सी किस्म सबसे ज्यादा लाभकारी और रोग-प्रतिरोधी होगी।
ऐसे में हम आपके लिए बेस्ट 5 किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं। ये किस्में न केवल अधिक पैदावार देती हैं, बल्कि खेती को सुरक्षित और आसान भी बनाती हैं। इन उन्नत किस्मों के माध्यम से किसान न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि फसल को विभिन्न रोगों और प्राकृतिक जोखिमों से भी बचा सकते हैं।
1. GG-4
GG-4 चने की एक लोकप्रिय किस्म है, जिसे 2000 में विकसित किया गया था। इसे नवंबर और दिसंबर में बोया जाता है और यह 120-130 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह मुरझाने के प्रति सहनशील है। प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार लगभग 19-20 क्विंटल तक होती है।
2. सबौर चना-1
सबौर चना-1 एक देसी किस्म है, जो 130-135 दिनों में पक जाती है। इसके पौधे दो फीट से भी कम ऊँचाई के होते हैं और पाले का खतरा कम रहता है। यह मुरझान, जड़ सड़न और कॉलर रॉट जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है। प्रति हेक्टेयर पैदावार लगभग 24-25 क्विंटल तक होती है। इसे 2020 में विकसित किया गया था।
3. GNG-2207 (अवध)
GNG-2207, जिसे अवध भी कहा जाता है, 2018 में श्रीगंगानगर कृषि अनुसंधान केंद्र (राजस्थान) ने विकसित किया। यह उन्नत देसी किस्म लगभग 130 दिनों में पकती है और प्रति हेक्टेयर 16-17 क्विंटल पैदावार देती है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और उकठा रोग के प्रति सहनशील है।
4. आरबीजी-202
आरबीजी-202 2015 में विकसित एक उन्नत किस्म है। यह अन्य किस्मों की तुलना में कम उगता है और पाले के प्रति अधिक सुरक्षित है। पौधे की ऊँचाई लगभग पौने दो फीट होती है और यह प्रति हेक्टेयर 20-21 क्विंटल तक पैदावार देती है।
5. BG-3043 (पूसा 3043)
BG-3043 (पूसा 3043) एक उच्च उपज देने वाली देसी किस्म है, जिसे 2018 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने विकसित किया। यह मध्यम बड़े दाने वाली है और सूखे, जड़ सड़न, स्टंट और एस्कोकाइटा ब्लाइट जैसी बीमारियों के प्रति सहनशील है। इसे 127-134 दिनों में पकने में समय लगता है और प्रति हेक्टेयर पैदावार 16-17 क्विंटल तक होती है।
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