फसल की खेती (Crop Cultivation)

राजस्थान: खरीफ फसलों में कीट-रोग नियंत्रण, विशेषज्ञों की सलाह से ही करें उपाय

18 जुलाई 2024, अजमेर: राजस्थान: खरीफ फसलों में कीट-रोग नियंत्रण, विशेषज्ञों की सलाह से ही करें उपाय – अजमेर जिले के किसान वर्तमान खरीफ सीजन में लगभग 1.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में विभिन्न फसलों की बुवाई कर चुके हैं। इसमें प्रमुख फसलें जैसे ज्वार 79332 हेक्टेयर, बाजरा 3604 हेक्टेयर, मक्का 4108 हेक्टेयर, मूंग 54399 हेक्टेयर, तिल 1754 हेक्टेयर, मूंगफली 919 हेक्टेयर, ग्वार 12287 हेक्टेयर, कपास 1099 हेक्टेयर और हरा चारा 1114 हेक्टेयर शामिल हैं। फसलों की बढ़वार के साथ-साथ इनमें कीट-व्याधियों का प्रकोप भी देखा जा सकता है। फसलों में लगने वाली मुख्य कीट व्याधि जैसे मूंगफली में टिक्का रोग (पत्ती धब्बा), सफेद लट, मूंग में चित्ती जीवाणु रोग, दीमक, ज्वार व बाजरा में सफेद लट, तिल में फाइलोडी, झुलसा रोग एवं निम्बु के बगीचे में सीट्रस साईला, सीट्रस केंकर इत्यादि का शुरूआती प्रकोप देखा जा सकता है। 

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक श्री शंकर लाल मीणा के निर्देशन में कृषि अधिकारी श्री पुष्पेन्द्र सिंह, कृषि अनुसंधान अधिकारी श्री नरेन्द्र सिंह, डॉ. पुष्पा कंवर, श्री मुकेश माली, डॉ. जितेन्द्र शर्मा, और डॉ. दिनेश स्वामी ने किसानों को फसल सुरक्षा के उपाय सुझाए हैं। विशेषज्ञों की सलाह पर अमल करने से किसानों को इन कीट-व्याधियों से बचाव में मदद मिलेगी।

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मूंगफली ज्वार, और बाजरा की फसल में टिक्का रोग और सफेद लट से बचाव

मूंगफली, ज्वार व बाजरा की खड़ी फराल में सफेद लट के निदान हेतु 500 मि.ली. इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एमएल प्रति हैक्टेयर की दर से और दीमक कीट के निदान हेतु क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 4 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ देने अथवा ये कीटनाशी मात्रा को सूखी साफ गिट्टी में मिलाकर एक हैक्टेयर क्षेत्र के हिसाब से पौधों की जड़ों के आस-पास डाल दें। इसके पश्चात हल्की सिंचाई करने पर अथवा सफेद लट और दीमक कीट के जैविक उपचार हेतु मेटाराईजियम एनीसीपोली या वैवरिया बेसियाना मित्र फफूंद की 5 किलोग्राम मात्रा प्रति हैक्टर की दर से 100 किलो सडी हुई गोबर की खाद में मिलाकर खेत की मिट्टी में मिलाने पर रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

मूँगफली में टिक्का रोग 
मूंगफली में टिक्का रोग होने पर पत्तियों पर भूरे रंग के पीली परिधि से घिरे हुए धब्बे बन जाते हैं। इस रोग से फसल को बचाने के लिए कार्बेन्डाजिग आधा ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से या गैन्कोजेब डेढ किलो प्रति हैक्टेयर की दर से घोल का छिडकाव करें एवं 10-15 दिन बाद छिडकाव पुनः दोहराएं।

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मूंग में कीट-व्याधि का नियंत्रण

मूंग की फसल में जीवाणु रोग के निदान के लिए स्ट्रेप्टोसाईक्लिन 1 ग्राम 10 लीटर पानी में और 20 ग्राम ताम्र युक्त कवकनाशी कॉपर आक्सीक्लोराईड का घोल बनाकर छिड़काव करें। साथ ही रस चुसने वाले कीट दिखाई देते ही नियंत्रण हेतु डाईमिथोएट 30 ई.सी. एक लीटर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें।

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तिल और कपास की फसलों में रोग नियंत्रण

तिल में पत्ती झुलसा रोग के निदान के लिए मैन्कोजेब या जिनेब 1.5 किलो या कैप्टान 2.5 किलो प्रति हैक्टेयर की दर से 15 दिन के अंतराल पर छिडकाव करें। तिल के फाइलोडी रोग के कारण फूल पत्तियों जैसी संरचना में बदल जाते है तथा गांठे व पुष्प बहुत पास-पास बनते हैं। प्रभावित पौधे के शिखर पर पत्तियों का गुच्छा बन जाता है। ऎसे पौधो में कैप्सुल नहीं बनते है। इस रोग के निदान हेतु रोग की शुरुआती अवस्था में रोगग्रस्त पौधों को उखाडकर गाड देवें तथा वाहक रोग के प्रसार के नियंत्रण हेतु क्यूनालफॉस 25 ई सी का एक लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से दो बार, बुवाई के 25 दिन बाद एवं 40 दिन बाद छिड़काव करें।

कपास में बॉल वर्म

कपास की फसल में पिंक बॉल वर्म का प्रकोप होने की स्थिति में कपास की फसल में बुवाई के 60 दिन उपरांत निम्बेसीडीन 750 एमएल प्रति लीटर पानी में प्रति एकड़ के हिसाब से छिडकाव करावे। रस चूसने वाले कीट जैसे सफ़ेद मख्ख्बी, हरा तेला, थ्रिप्स, माईट व मिलीबग का अधिक प्रकोप होने की स्थिति में इमिडाक्लोप्रिड 200 एमएल 0.3 मिली प्रति लीटर पानी अथवा थायोमेथोग्जाम 25 डब्ल्यू. जी. 0.5 मिलीग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से प्रति लीटर अथवा एसिटामिप्रिड एस.पी. 0.4 मिलीग्राम हैक्टेयर की दर से प्रति लीटर अथवा थयोक्लोप्रीड 240 एस.सी. 1.0 मि.ली. प्रति लीटर अथवा डाईफेन्थूरान 50 डब्ल्यू, पी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से परामर्श उपरांत छिडकाव कर नियंत्रण किया जा सकता है।

निम्बू के बगीचों में रोग प्रबंधन

निम्बु में कैंकर रोग के नियत्रण हेतु रोग ग्रस्त पौधों पर कॉपर आक्सीक्लोराईड 0.3 प्रतिशत व स्ट्रेप्टोसाईक्लिन 100 पीपीएम का छिड़काव करें एवं सीट्रस साइला के नियंत्रण हेतु डाईमिथोएट 30 ईसी 2 एमएल या ईमिडाक्लोरोपिड 17.8 एसएल 0.3 एमएल प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

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