फसल की खेती (Crop Cultivation)

चना फसल में कीट बचाव

कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के डॉं. बी.एस.किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख द्वारा विगत दिवस ग्राम इटौरी वि.ख. गुनौर में चना फसल में कीट प्रबंधन पर कृषकों को प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण में डॉ. किरार ने बताया कि चना फसल को मुख्य रूप से फली भेदक कीट हानि पहुंचाता है फली भेदक की सूड़ी पीले, नारंगी, गुलाबी, भूरे या काले रंग की होती है। इसकी पीठ पर हल्के और गहरे रंग की धारियां होती है। इसकी फली शुरू में पत्तियों को खाती है। और बाद में फूल एवं फलियों में दाने को खाकर नुकसान पहुंचाती है। इसके नियंत्रण हेतु खेत में कीट भक्षी चिडिय़ों को बैठने के लिए टी आकार की 15-20 खूटियां प्रति एकड़ लगायें। चिडिय़ों द्वारा फली भेदक एवं कटुआ कीट को लगभग 35 प्रतिशत तक नियंत्रण करती है। जैविक नियंत्रण के अन्तर्गत न्यूक्लियर पॉली हैड्रोसिस विषाणु 100 मिली लीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें और कीट समस्या अधिक बढऩे पर रसायनिक दवा इन्डोक्साकार्व 14.5 एस.सी. 120 ग्राम या इमामेक्टिन बेन्जोइट दवा 80 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। प्याज फसल में गुड़ाई करने के एक सप्ताह बाद सिंचाई करने के उपरान्त 25 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से यूरिया का छिड़काव करें और प्याज में 2 बार गुडाई अवश्य करें तथा प्याज में बैंगनी धब्बा एवं स्टेम फायलम झुलसा रोग से पत्तियां ऊपर से पीली पड़कर सूखती है इसके नियंत्रण हुेतु डायथेन एम.-45 या कॉपर ऑक्सीक्लोराईड दवा 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

रबी फसलों में कीट -रोग प्रबंधन

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