सोयाबीन फसल में रोग नियंत्रण के लिए प्रभावी कीटनाशक और फफूंदनाशक
13 अगस्त 2025, नई दिल्ली: सोयाबीन फसल में रोग नियंत्रण के लिए प्रभावी कीटनाशक और फफूंदनाशक – भारत में सोयाबीन की खेती करने वाले किसान कई प्रकार के रोगों से प्रभावित हो सकते हैं, जो अगर समय पर नियंत्रित न किए जाएं तो उपज में भारी कमी ला सकते हैं। राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए निम्नलिखित रोग नियंत्रण सलाह जारी की है।
1. रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट:
यदि सोयाबीन में रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत नियंत्रण के उपाय अपनाना जरूरी है। अनुशंसित फफूंदनाशक:
- फ्लुक्सापय्रोक्साड + पायरोक्लोस्ट्रोबीन – 300 ग्राम/हे
- पायरोक्लोस्ट्रोबीन + इपोक्कोसीकोनाजोल – 750 मिली/हे
- पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20% WG – 375–500 ग्राम/हे
2. एन्थ्राक्नोज रोग:
एन्थ्राक्नोज रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देने पर जल्द से जल्द नियंत्रण करें। इसके लिए फफूंदनाशक:
- टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. – 625 मिली/हे
- टेबूकोनाजोल 38.39 एस.सी. – 625 मिली/हे
- टेबूकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG – 1.25 किग्रा/हे
- कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% WP – 1.25 किग्रा/हे
3. पीला मोज़ेक / सोयाबीन मोज़ेक रोग:
इस रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखाई दें तो रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर नष्ट करें। रोग फैलाने वाले वाहक सफेद मक्ख / एफिड से बचाव के लिए:
- फ्लोनीकेमिड 50% WG – 200 ग्राम/हे
- थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन – 125 मिली/हे
- बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड – 350 मिली/हे
- एसिटेमीप्रीड 25% + बायफेंथ्रिन 25% WG – 250 ग्राम/हे
4. फायटोप्थोरा रूट रॉट:
यह रोग सामान्यतः गीले मौसम के बाद दिखाई देता है, जिससे पौधों की जड़ों पर भूरे धब्बे बनते हैं और जड़ें सड़ने लगती हैं। इसके नियंत्रण के लिए:
- खेत में जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें
- मेटालेक्सिल 4% + मेंकोजेब 64% – 2.5 ग्राम/लीटर (1250 ग्राम/हे) छिड़काव करें
सोयाबीन फसल में रोगों की समय पर पहचान और उचित नियंत्रण आवश्यक है। किसान नियमित रूप से खेत की निगरानी करें, अनुशंसित फफूंदनाशक और कीटनाशक का समय पर छिड़काव करें, और रोग फैलाने वाले वाहकों पर नियंत्रण रखें। राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान की सलाह का पालन करने से फसल सुरक्षित रहती है और उपज बढ़ती है।
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