Animal Husbandry (पशुपालन)

मोटापे में पालतू पशुओं का पोषण प्रबंधन

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  • डॉ. दिनेश ठाकुर , डॉ.आर.के.जैन
  • डॉ.ए.एस. राणे , डॉ. प्रदीप शर्मा

1 जून 2021, मोटापे में पालतू पशुओं का पोषण प्रबंधन – मोटापा कुत्तों एवं बिल्लियों में एक अत्यधिक प्रचलित बीमारी है। ऐसा अनुमान है कि करीब 44 प्रतिशत कुत्तों एवं 12 प्रतिशत बिल्लियों मोटापे से ग्रसित हैं। मनुष्यों की तरह पशुओं में भी मोटापा जानलेवा साबित हो सकता है।

पशु की आयु में वृद्धि के साथ-साथ मोटापे की संभावना बढ़ती जाती है मोटापा नर पशु तुलना में मादा में अत्यधिक तीव्रता से बढ़ता है। यह नपुसंक या बध्याकृत पालतू पशुओं में अधिक होती है। विभिन्न क्रियाओं से हटकर मोटापे का कारक होता है। उर्जा खर्च से अधिक उर्जा का ग्रहण होने पर अन्तत: बची हुई उर्जा का बसीय उतक एडीपोस उतक के रूप में संचय होना है।

कारण

अनुवांशकीय नश्ल का प्रकार जननीय स्तर लिंग एवं आयु संभव कारक होते है। चूंकि कुछ कारक ऐसे होते है जिन्हें हम नियमित कर सकते है। जो कारक मोटापे के विकास के लिये उत्तरदायी है। वे निम्नलिखित कारक जो मोटापे को अधिक बढ़ावा देते है। अल्प अवस्था में अत्यधिक भोजन ज्यादा स्वादिष्ट भोजन करना शारीरिक परिश्रम की कमी गर्भावस्था एवं मानसिक प्रभाव।

अत्यधिक भोजन एवं शारीरिक परिश्रम की कमी दोनों ही मोटापे को बढ़ाते है। हांलाकि कृत्रिम भोजन से परिपूर्ण करना। पशु भेाजन का स्वादिष्ट पाकर अपनी आवश्यकता से अधिक भोजन कर लेते है। घटा हुआ शारीरिक श्रम जो कि ऊर्जा ग्रहण जिसे भी साथ में घटना चाहिये उससे मेल न खाते हुये मोटापे में प्रवाहित होता है। बध्याकरण दोनों कुत्तों एवं बिल्लियों में मोटाने की संभावना को दोनो लिगों में करीब-करीब दुगना कर देता है। कुत्ते बिल्ली के बच्चों का अधिक भोजन कराना उनकी वसीय कोशिकाओं के बढऩे के कारण मोटापे की ओर अग्रसर करना है। बिल्लियों के संबंध में यह माना जाता है कि उनकी योग्यता अन्त: ग्रहित ऊर्जा को नियंत्रित करने की बेहतर होती है। शिकार करना बिल्लियों में मोटापे के नियंत्रण की तुलना में एक अतिरिक्त कारक माना जाता है।

मोटापे से जुड़े हुये स्वास्थ्य संबंधित खतरे

मोटापे से ग्रसित कुत्ते एवं बिल्लियों में हड्डी एवं हृदय संबंधित समस्याएं मधुमेह, प्रजनन क्षमता में बाधा उत्पन्न होना, एवं निश्चेतना एवं शल्य चिकित्सा से संबंधित समस्याएं भी अधिक होती है।

वजन प्रबन्धन

एक सकल वजन प्रबंधन कार्यक्रम में तीन मुख्य क्षेत्र होते हैं। प्रथम संतुलित आहार द्वितीय व्यायाम एवं तृतीय मालिक द्वारा आहार देने की विधि में परिवर्तन।
आहार ऊर्जा की आवश्यकता कुत्ते एवं बिल्लियों में भोजन करने की इच्छा जाग्रत करती है। मरीज की प्रतिदिन की ऊर्जा की आवश्यकता का निर्धारण होना चाहिये। उचित भोजन को अधिक पोषण के साथ न्यूनतम ऊर्जा प्रदान करें उसे चयनित करके सही मात्रा का निर्धारण हो जो वजन घटानें में सहायक हो। भोजन में किण्वन रेशे का मध्यम स्तर एवं वसा का मध्यम स्तर होना चाहिये जो त्वचा के हानि होने से बचाये। भोजन जो ऊर्जा को रेशे में स्थानान्तरित करे वह विष्ठा मात्रा में वृद्धि करता है। एवं मल त्यागने की अत्याधिक इच्छा और पोषक तत्वों के पाचन का परिवर्तनीय उन्मूलन करता है।

व्यायाम

बढ़ता हुआ शारीरिक श्रम वजन घटाने एवं प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है संतुलित भोजन द्वारा वजन घटाने के अलावा एवं व्यवस्थित व्यायाम की रूप रेखा बनाना अतिआवश्यक है।

 

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