Uncategorized

कद्दूवर्गीय सब्जियों की ज्यादा पैदावार कैसे लें

भूमि का चुनाव: इनकी खेती के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास अच्छा हो, अधिक उपयुक्त है।
खेत की तैयारी : अच्छी तरह सड़ी  हुई गोबर की खाद 8-10 टन प्रति एकड़ बुआई से 20-25 दिन पहले मिलाये व खेत को एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में 2-3 बार जुताई करके सुहागा चलायें।
बिजाई समय:अच्छी उपज के लिए इन सब्जियों की बिजाई फऱवरी-मार्च में करें। तर ककड़ी व चप्पन कद्दू की बिजाई दिसम्बर-जनवरी में भी की जा सकती है।
बीज मात्रा – खीरा, ककड़ी व खरबूज के लिए एक किलोग्राम बीज प्रति एकड़ बोयें तथा अन्य सब्जियों के लिए 1.5-2.0 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ बोयें। बिजाई से पहले कुछ महत्वपूर्ण ध्यान देने योग्य बातें।

  •     बिजाई से पहले ढाई ग्राम ब्रासीकाल या दो ग्राम बाविस्टिन दवा प्रति किलो बीज की दर से  बीजोपचार करें।
  •     लौकी, कद्दू व  तरबूज के बीजों की बुवाई 3 मीटर चौड़ी उठी हुई क्यारियों में 60 सेंटीमीटर की दूरी पर 2-3 बीज बोयें लेकिन तरबूज की चार्लेस्टन ग्रे किस्म 2-4 मीटर चौड़ी क्यारी में बोयें।
  •     अन्य सब्जियों की बुवाई 2 चौड़ी उठी हुई क्यारियों में 60 सेंटीमीटर की दूरी पर 2-3 बीज बोकर करें
  •     अगेती फसल के लिए जनवरी के महीने में पॉलीथिन के लिफाफों में पौध तैयार करें और रोपाई करते समय थैलियों को हटा दें।
बेलवाली सब्जियां जैसे लौकी, तोरई, तरबूज, खरबूजा, पेठा, खीरा, टिण्डा, करेला आदि की खेती मैदानी भागों में गर्मी के मौसम में मार्च से लेकर जून तक की जाती है। ये सब्जियां हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं क्योंकि इनसे हमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ‘ए’, ‘सी’ तथा खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। इनको सलाद व आचार के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। कद्दू व घीया को मिठाई बनाने में भी काम में लाते हैं, अत: इन सब्जियों की उपज बढ़ाने के कुछ महत्वपूर्ण गुण इस प्रकार हैं:

Advertisement
Advertisement

उर्वरक कब व कितना दें :
20 किलोग्राम नत्रजन, 10 किलोग्राम फास्फोरस व 10 किलोग्राम पोटाश की मात्रा एक एकड़ के लिए पर्याप्त है। बिजाई करते समय एक तिहाई नत्रजन, पूरी फॉस्फोरस, पूरी पोटाश डालें। बची हुई नत्रजन की मात्रा को दो समान भागों में 30 व 45 दिन बाद डालें।
कुछ अन्य ध्यान देने योग्य बातें

  •     तुड़ाई कैंची की मदद से करें तथा डंठल सहित ;4.5 से.मी. फलों को तोड़ें।
  •     रंग व आकार के आधार पर श्रेणीकरण कर पैकिंग करें।
  •     पैक किये गये फलों को शीघ्र मण्डी या शीतगृह में रखें।
  •     पैक किये गये फलों को काट कर (छल्लानुमा) स्वच्छ जगह पर सुखाएँ एवं पालीथिन के थैलों में सील करके भण्डारित करें।
उपयुक्त किस्मों का चुनाव:
सब्जियां उन्नत किस्में
संकर
 खीरा   जापानीज लांग ग्रीन, पोइन सेट, पूसा संयोग, पंत संकर खीरा-1
 लौकी   पूसा समर प्रोलिफिक लांग, पूसा ,  समर प्रोलिफिक राउंड, पूसा नवीन,      पूसा संदेश, पूसा संतुष्टि पूसा मेघदूत, पूसा मंजरी,पूसा   हाइब्रिड-3
पेठा कद्दू  पूसा विश्वास,अर्का चन्दन,पूसा विकास
करेला  कोयम्बटूर लांग, पूसा विशेष, पूसा  दो मौसमी  पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2
तोरई  पूसा चिकनी, पूसा नसदार
 खरबूजा  हिसार मधुर, पंजाब सुनहरी, हरा मधु पंजाब हाइब्रिड, पूसा रसराज
 तरबूज सुगर बेबी, चार्लेस्टन ग्रे अर्का ज्योति
 टिंडा  हिसार सिलेक्शन, बीकानेर ग्रीन
चप्पन कद्दू  पूसा अलंकार

 

Advertisement8
Advertisement
वृद्धि नियामक कौनसा, कितना व कब प्रयोग करें
तरबूज : जिब्रेलिक एसिड (जी.ए.3) 25 पी.पी. एम., आधी ग्राम दवा प्रति 20 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ 2 व 4 पत्तों की अवस्था में दो बार छिड़काव करें।
लोकी व टिंडा : इथ्रेल 100 पी.पी. एम., 4 मि.ली. इथ्रेल 50 प्रतिशत 20 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ 2 व 4 सच्चे पत्तों की अवस्था में दो बार।
करेला  :  (पूसा दो मौसमी किस्म में) सईकोसिल (सी.सी.सी.) 250 पी.पी.एम., 5 ग्राम प्रति 20 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ 2 व 4 पत्तों की अवस्था में दो बार।
ककड़ी : इथ्रेल 250 पी.पी.एम., 10 मि.ली. इथ्रेल 50 प्रतिशत प्रति 20 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ 2 व 4 पत्तों की अवस्था में दो बार।
तोरई  : इथ्रेल 100 पी.पी.एम., 4 मि.ली. इथ्रेल 50 प्रतिशत प्रति 20 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ 2 व 4 पत्तों की अवस्था में दो बार।

Advertisement8
Advertisement
  • ध्यान रहे वृद्धि नियामक पानी में आसानी से नहीं घुलते अत: इन्हें पहले थोड़े से अल्कोहल में घोल लें।
    फलों की तुड़ाई कब करें ?
    खरबूजा : फलों का रंग पिला होने पर तोड़े।
    तरबूज : फल पकने पर तोड़े जब फलों का जमीं को छूता भाग पिला रंग में बदल जाये।
    लौकी : फल कच्ची अवस्था में थोड़े जब इसका रंग पीला-हरा हो।
    करेला:  हलके हरे रंग के फल ही तोड़ें।
    ककड़ी :  नरम व चिकने फलों को प्रात: या शाम के समय तोड़े तथा फलों की लम्बाई 15-30 से. मी. हो।
    कद्दू  : पूर्ण विकसित फलों को ही तोड़ें।
    तोरई: फल हरे हों तबी तोड़ें तथा रेशेदार न हुए हों।
    टिंडा :  कच्चे फल ही तोड़ें तथा तोड़ाई 3-4 दिन के अंतर पर करें।

 

बेलों की काट-छांट
खरबूजे की हरा मधु किस्म में मुख्य तने पर नरफूल आते हंै तथा दूसरी शाखाओं पर पूर्ण फूल 7वीं गांठ पर आते है। इसलिए मुख्य शाखा पर शुरू से छठी गांठ तक निकलने वाली दूसरी शाखाओं को काट दें तथा इसके बाद दूसरी शाखाओं को बढऩे दें। इस प्रकार कांट-छांट की गई बेलों में फलों की संख्या व आकार अधिक होता है जिससे उपज में 20-25 प्रतिशत वृद्धि अधिक होती है।

  • यह विधि पंजाब सुनहरी किस्म में भी लाभप्रद है। इस किस्म में दूसरी शाखाओं को तीसरी गांठ तक ही कांटे।
  • तरबूज के पौधे को 4-6 पत्तों की अवस्था में मुख्य बढ़ोतरी वाले सिरों को काटकर हटा देने से फल 10 -12 दिन तक पकते हैं तथा 10-12 प्रतिशत अधिक उपज देते हैं।

 

Advertisements
Advertisement5
Advertisement