रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह
- गर्मी की मूंग में सफेद मक्खी एवं रसचूसक कीटों के प्रकोप की संभावना है, इनके द्वारा पीला मोजेक वाइरस फैलता है। नियंत्रण के लिए इथोफेनप्रॉक्स 10 ईसी एक ली. दवा (25 से 30 मिली/पम्प) 500 ली. पानी के साथ मिलाकर प्रति हे. छिड़कें।
- ग्रीष्मकालीन मूँग, मूंगफली, मक्का आदि फसलों में तापमान की अधिकता होने के कारण वाष्पोत्सर्जन ज्यादा होता है, इसकी सम्भावना होने पर कतारों के बीच में वानस्पतिक मल्च या प्लास्टिक मल्च लगायें।
- भावान्तर भुगतान योजना अंतर्गत मप्र शासन द्वारा किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए लहसुन को भावान्तर भुगतान योजना अंतर्गत रखा गया है। किसान भाई योजना का लाभ लेने के लिए 15 से 31 मार्च 2018 तक प्राथमिक कृषि साख समितियों तथा मंडी समितियों में जाकर पंजीयन करवा सकते हैं।
उद्यानिकी
- बढ़ते तापमान को देखते हुए टमाटर, बंैगन एवं भिंडी में रसचूसक कीटों के लिए मैलाथियान 2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़केें। इल्ली की रोकथाम हेतु ट्राइजोफॉस 750 मिली दवा 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करें। कीटनाशकों का छिड़काव तोड़ाई के बाद करें।
- पपीते में पर्ण कुचंन व मोजेक रोग के लक्षण दिखाई देते ही रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर नष्ट करें तथा रोग नियंत्रण हेतु डाइमिथिएट 30 ईसी या मिथाइल डिमेटान 25 ईसी एक मिली प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।
पशुपालन
- खुरपका मुंहपका एवं एक टंगिया रोग के टीकाकरण पशु चिकित्सक की सलाह से करवाएं। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने हेतु साफ पानी, हरे एवं शुष्क चारे के मिश्रण के साथ दाना खिलायेंं। पशुओं के लिए हरे चारे की मई-जून माह में उपलब्धता हेतु ज्वार चरी की बुआई करें।
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