राज्य कृषि समाचार (State News)

छुरी किसानों पर ही गिरी: ज़ायद मूंग की MSP पर खरीदी न होने की पीड़ा

लेखक: सचिन बोन्द्रिया

Advertisement1
Advertisement

05 जून 2025, इंदौर: छुरी किसानों पर ही गिरी: ज़ायद मूंग की MSP पर खरीदी न होने की पीड़ा – मध्यप्रदेश के लाखों किसानों के लिए वर्ष 2025 की ज़ायद मूंग की फसल निराशा लेकर आई है। लगभग 14-15 लाख हेक्टेयर भूमि में बोई गई जिसका कुल उत्पादन लगभग 20 लाख मेट्रिक टन होता है, इस फसल को अब वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं मिलेगा, जिसकी उम्मीद में किसानों ने पसीना बहाया था। सरकार द्वारा इस वर्ष समर्थन मूल्य पर खरीदी न करने का निर्णय न केवल आर्थिक चोट है, बल्कि किसानों की आशाओं पर कुठाराघात भी है।

आख़िर क्यों नहीं होगी MSP पर खरीदी?

मुख्यमंत्री का कहना है कि जायद मूंग की खेती में खरपतवार नाशकों के उपयोग से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की इस चिंता को देखते हुए कृषि विभाग ने केंद्र सरकार को MSP खरीदी का प्रस्ताव ही नहीं भेजा। यही कारण है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त श्री अशोक वर्णवाल ने स्पष्ट कर दिया कि इस साल मूंग की सरकारी खरीदी नहीं होगी। श्री वर्णवाल ने इंदौर में संभागीय बैठक लेने के बाद कृषक जगत के सवाल पर कहा की सरकार ने पहले ही बता दिया था की इस वर्ष मूंग की सरकारी खरीद नहीं होगी. यह बात मुख्यमंत्री ने भी सभी जगह कहीं है क्योंकि मूंग की फसल में किसान खरपतवार नाशक का उपयोग कर रहे हैं जो परेशानी का सबब बनते जा रहा है.

लेकिन यहीं सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है – यदि वही मूंग खुले बाजार में व्यापारियों को बेची जाएगी, और उपभोक्ताओं तक पहुँचेगी, तो स्वास्थ्य पर प्रभाव का तर्क MSP खरीदी न करने के लिए कैसे पर्याप्त हो सकता है?

Advertisement8
Advertisement

किसानों का गुस्सा और घाटा–

इस निर्णय से नर्मदापुरम, हरदा, रायसेन, विदिशा और सीहोर जैसे ज़िलों के मूंग उत्पादक किसान आक्रोशित हैं। मंडियों में इस समय मूंग का भाव ₹6000 से ₹7000 प्रति क्विंटल चल रहा है, जबकि केंद्र ने इस वर्ष इसका MSP ₹8768/क्विंटल तय किया है। किसानों को प्रति क्विंटल ₹1000–₹1500 का घाटा उठाना पड़ रहा है।

Advertisement8
Advertisement

हरदा के किसान श्री करण पटेल बताते हैं, “70% कटाई हो चुकी है, लेकिन MSP न मिलने से किसान आर्थिक संकट में हैं।” देवास के विकास गुर्जर और इटारसी के शरद वर्मा जैसे किसानों ने बताया कि वे नॉन-सिस्टेमिक रसायनों का उपयोग करते हैं, जो सिर्फ पत्तियों को सुखाते हैं, बीज या फल पर कोई प्रभाव नहीं डालते। यह भी सवाल उठता है कि यदि यह रसायन “ग्रीन लेवल” में आता है, तो फिर समर्थन मूल्य रोकने का आधार क्या है?

तीसरी फसल का संकट और आत्मनिर्भरता की बाधा

जायद की मूंग वही फसल है जो कम समय में तैयार होकर किसानों को त्वरित आमदनी देती है। कई किसान खरीफ और रबी के बाद इसे तीसरी फसल के रूप में लेते हैं ताकि सालभर आमदनी बनी रहे। लेकिन MSP न मिलने से उनकी तीसरी फसल पर संकट है।

संजय चिमानिया (सोमलवाड़ा खुर्द, इटारसी) कहते हैं – “खेती का खर्च लगातार बढ़ रहा है। अगर तीसरी फसल भी घाटे में जाएगी, तो किसान कैसे टिकेगा?”

यह भी विचारणीय है कि सरकार एक ओर ‘दलहन में आत्मनिर्भरता’ की बात करती है, वहीं दूसरी ओर देशी उत्पादन के बजाय विदेशों से मूंग आयात करने का विकल्प अपनाती है, जबकि अपने ही किसानों से MSP पर खरीदी नहीं करती। यह नीति विरोधाभासी और विडंबनापूर्ण है।

नीति और नीयत पर सवाल

सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय दर्शाता है कि किसानों की भलाई की बातें महज घोषणाओं तक सीमित हैं। यदि खरपतवार नाशकों का मुद्दा वाकई गंभीर है, तो उसे वैज्ञानिक स्तर पर प्रमाणित कर प्रतिबंधित किया जाए, न कि केवल खरीदी रोककर किसानों को दंडित किया जाए।

Advertisement8
Advertisement

किसानों की आय दोगुनी करने का सपना दिखाने वाली सरकार को यह समझना होगा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य देना महज एक आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का प्रश्न भी है।

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि “छुरी तो इस बार भी किसानों पर ही गिरी है”। सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर पुनः विचार करे, कृषि वैज्ञानिकों की राय ले, किसानों से संवाद करे और केंद्र को प्रस्ताव भेजकर MSP खरीदी की व्यवस्था तत्काल शुरू करे।

Advertisements
Advertisement3
Advertisement

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement