बिहार में मशरूम की खेती को मिलेगी रफ्तार, सरकार देगी 90% तक सब्सिडी
03 अक्टूबर 2025, भोपाल: बिहार में मशरूम की खेती को मिलेगी रफ्तार, सरकार देगी 90% तक सब्सिडी – बिहार सरकार अब पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर वैकल्पिक कृषि मॉडल को बढ़ावा देने की दिशा में गंभीर कदम उठा रही है। इस क्रम में मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग के अंतर्गत उद्यान निदेशालय ने वर्ष 2025-26 के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत राज्य भर के किसानों को मशरूम किट और झोपड़ी (मशरूम हट) निर्माण पर 50% से 90% तक की सब्सिडी दी जाएगी।
मशरूम की खेती न केवल कम जगह और कम लागत में की जा सकती है, बल्कि इससे किसानों को त्वरित और निरंतर आमदनी भी होती है। खास बात यह है कि बिहार जैसे राज्य, जहां छोटे और सीमित भूमि धारक किसान अधिक हैं, वहां यह खेती बेहद उपयोगी साबित हो रही है। साथ ही, यह फसल अन्य पारंपरिक फसलों की तुलना में जल्दी तैयार हो जाती है और साल भर कई बार उगाई जा सकती है।
महिलाओं को मिलेगा विशेष लाभ
इस योजना में महिला किसानों को प्राथमिकता दी गई है। सरकार ने कुल लाभार्थियों में कम से कम 30% भागीदारी महिलाओं की सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और आत्मनिर्भरता की दिशा में उन्हें आगे लाने का माध्यम बनेगा। महिला स्वयं सहायता समूह भी इस योजना का लाभ उठा सकेंगे।
मशरूम किट पर मिलेगा 90% तक अनुदान
सरकार द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, पैडी और ऑयस्टर मशरूम किट की लागत 75 रुपये प्रति किट है, जिस पर 90% यानी 67.50 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। वहीं, बटन मशरूम किट, जिसकी प्रति यूनिट लागत 90 रुपये है, उस पर 81 रुपये का अनुदान मिलेगा। एक किसान को न्यूनतम 25 किट और अधिकतम 100 किट तक सब्सिडी का लाभ मिलेगा।
झोपड़ी निर्माण पर 50% सब्सिडी, कम लागत में तैयार होगी यूनिट
मशरूम की खेती के लिए आवश्यक झोपड़ी या संरचना के निर्माण पर 50% तक की सब्सिडी भी दी जाएगी। इससे किसान अपने खेत, आंगन या छोटे उपलब्ध स्थानों पर मशरूम यूनिट तैयार कर सकेंगे। यह पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल और कम लागत वाला विकल्प है।
“पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर मिलेगा लाभ
सरकार ने इस योजना के क्रियान्वयन में “पहले आओ, पहले पाओ” की नीति को लागू किया है। इच्छुक किसान योजना का लाभ उठाने के लिए जल्द से जल्द आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से की जा सकती है, जिसकी विस्तृत जानकारी कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।
पोषण, पर्यावरण और रोजगार- मशरूम से मिलेंगे कई लाभ
मशरूम न केवल एक पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ है, बल्कि इसकी खेती में कृषि अवशेषों का पुनः उपयोग किया जाता है, जिससे अपशिष्ट प्रबंधन में भी सहायता मिलती है। यह पर्यावरण के अनुकूल खेती है, जिसमें जल की भी कम आवश्यकता होती है। साथ ही, इससे ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture