राज्य कृषि समाचार (State News)

केंद्र ने आंध्र प्रदेश और राजस्थान में किसानों से खरीदी के लिए 9,700 करोड़ रु. से अधिक की मंजूरी दी

19 नवंबर 2025, भोपाल: केंद्र ने आंध्र प्रदेश और राजस्थान में किसानों से खरीदी के लिए 9,700 करोड़ रु. से अधिक की मंजूरी दी – किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का संरक्षण देने और बाजार जोखिम से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने खरीफ 2025-26 के लिए आंध्र प्रदेश और राजस्थान से प्राप्त मूल्य समर्थन योजना (PSS) और बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान कर दी है। कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मंजूर किए गए इन प्रस्तावों का कुल मूल्य 9,700 करोड़ रुपये से अधिक है, जिससे दोनों राज्यों के किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई उच्चस्तरीय बैठक में दोनों राज्यों के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ फसलवार खरीद मात्रा पर चर्चा की गई और राज्यों की तैयारियों की समीक्षा की गई।

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आंध्र प्रदेश के लिए 37,273 मीट्रिक टन मूंगफली की PSS के तहत खरीद को मंजूरी दी गई है, जबकि अनुमानित उत्पादन 1,49,090 मीट्रिक टन है। इस खरीद का MSP मूल्य 270.71 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, MIS के तहत 97,887 मीट्रिक टन प्याज की खरीद के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है, जिसका मूल्य 24.47 करोड़ रुपये है। राज्य ने रायतु सेवा केंद्रों पर L1 आधार आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण व्यवस्था लागू कर दी है, जिससे खरीद और भुगतान प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय होगी।

राजस्थान के लिए केंद्र ने इस सीजन में सबसे बड़ी खरीद मंजूरियों में से एक जारी की है। राज्य को मूंग 3,05,750 MT, उड़द 1,68,000 MT, मूंगफली 5,54,750 MT और सोयाबीन 2,65,750 MT की खरीद स्वीकृत हुई है। इन सभी फसलों का कुल MSP मूल्य लगभग 9,436 करोड़ रुपये है। राज्य ने खरीद केंद्रों पर POS आधारित आधार सत्यापन लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है, जिससे खरीद प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना कम हो जाएगी।

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चौहान ने कहा कि किसानों को उचित मूल्य दिलाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने दोनों राज्यों को निर्देश दिया कि खरीद व्यवस्थाएं मजबूत रखी जाएं, खरीद केंद्रों पर आधार-सक्षम उपकरण उपलब्ध हों, किसानों का पंजीकरण समय पर हो और भुगतान DBT के माध्यम से बिना विलंब पूरा हो। उन्होंने राज्यों से FPO और FPC की भागीदारी बढ़ाने पर भी जोर दिया, ताकि किसानों को संगठित और विश्वसनीय बाजार उपलब्ध हो सके।

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