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खेतों की मेड़ों पर सब्जियों और फूलों की खेती से आय होगी दोगुनी

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रायपुर। किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी किये जाने के लक्ष्य को साकार करने के लिए जहां फसलों की अधिक उपज देने वाली किस्में और उन्नत कृषि तकनीक अपनाने पर जोर दिया जा रहा है वहीं कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बिकापुर के कृषि वैज्ञानिकों ने खेतों की मेड़ों पर सब्जियों का उत्पादन कर किसानों को आमदनी बढ़ाने की नयी राह दिखाई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बिकापुर के वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे किसान खेतों की बेकार पड़ी मेड़ों पर सब्जियों एवं फूलों की मल्टीलेयर खेती कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रक्षेत्र में पिछले खरीफ मौसम में सिर्फ 17 डिसिमल मेड़ों की जमीन पर सब्जियों और फूलों की मल्टीलेयर खेती से लगभग 50 हजार रूपये की अतिरिक्त आय प्राप्त की गई है।
कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बिकापुर में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रविन्द्र तिग्गा एवं उनके सहयोगियों द्वारा जुलाई 2017 से प्रक्षेत्र की मेड़ों में बेकार पड़ी भूमि पर लौकी, भिंडी, सेम, मटर, फूल गोभी, पत्ता गोभी, स्ट्राबेरी आदि फसलों की मल्टीलेयर खेती शुरू की गई। इस तकनीक में मेड़ों पर एक साथ दो फसलों की खेती की गई। वैज्ञानिकों ने इसके लिए मेड़ पर पांच फीट बांस का मचान बनाकर उस पर लौकी की बेलों को चढ़ाया और नीचे मटर, फूल गोभी, पत्ता गोभी, फ्रेन्चबीन, स्ट्राबेरी आदि फसलों की बहुमंजिला खेती की गई। कुछ मेड़ों पर भिंडी, गवारफली, गेंदा, रजनीगंधा भी लगाए गए। मेड़ों पर ड्रिप सिंचाई पद्धति के साथ लगाई गई फसलों से अच्छी उपज प्राप्त हुई। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि 17 डिसमिल (एक एकड़ के छठवें भाग में) सब्जियों और फूलों से प्रति माह 9 से 10 हजार रूपये की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हुई। अब तक इन फसलों से लगभग 50 हजार रूपये की आय प्राप्त की जा चुकी है।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि छत्तीसगढ़ में खेतों की मेड़ों के अंतर्गत लगभग 10 प्रतिशत भूमि आती है जिसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। खेतों की मेड़ें किसानों की आय का बड़ा जरिया बन सकती हैं। मेड़ों का प्रबंधन कर किसान ना केवल अपने परिवार की जरूरतों की पूर्ति कर सकते हैं बल्कि इनसे नियमित रूप से अच्छी कमाई भी कर सकते हैं। मेड़ों पर बहुमंजिला तकनीक से खरीफ एवं रबी दोनों मौसम में लहसुन, प्याज, टमाटर, धनिया, मिर्च, पालक, मेथी, करेला, ककड़ी, खीरा, बरबटी आदि की खेती की जा सकती है। छोटे किसान इस तकनीक से अपनी बाड़ी में भी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। इस तरह यह तकनीक किसानों की आय दोगुनी करने में मददगार साबित होगी।

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