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पौध संरक्षण में उदासीनता क्यों ?

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देश में पौध संरक्षण रसायनों के खाद्य पदार्थों में अवशेष की आवाज समय-समय पर विभिन्न मंचों से उठती रहती है। परन्तु सच यह है कि देश का किसान पौध संरक्षण के प्रति अभी भी उदासीन है। देश में इन रसायनों का उपयोग मात्र 0.6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मान से होता है, वहीं ब्रिटेन व फ्रान्स में यह 5.0 किलो, कोरिया तथा संयुक्त अमेरिका में 7.0 किलो, जापान में 12.0 किलो, चीन में 13 किलो तथा ताइवान में 17.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मान से होता है। पौध संरक्षण में उदासीन रहने के कारण भारत की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता मात्र 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि विश्व की औसत प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 40 क्विंटल प्रति हेक्टर है। विकसित देशों की उत्पादकता भारत की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता से दुगनी से भी अधिक है। अमेरिका 70 क्विंटल, ब्रिटेन 70 क्विंटल, फ्रांस 75 क्विंटल तथा जर्मनी 70 क्विंटल उत्पादन प्रति हेक्टेयर के मान से ले रहे हैं। भारत के किसान पौध संरक्षण रसायनों की देश में कमी के कारण इनका उपयोग कम कर रहे हैं यह भी सत्य नहीं है। भारत विश्व में अमेरिका, जापान तथा चीन के बाद चौथा बड़ा पौध संरक्षण रसायन उत्पादन करने वाला देश है। देश में प्रति वर्ष लगभग 440 करोड़ डालर (28600 करोड़ रुपए) मूल्य के पौध संरक्षण रसायनों का उत्पादन होता है। यह उद्योग 7.5 प्रतिशत की वृद्धि प्रति वर्ष प्राप्त कर रहा है और इसके वर्ष 2020 तक 6300 लाख डालर तक पहुंच जाने की सम्भावना है। पौध संरक्षण रसायनों के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत देश से अन्य देशों को निर्यात होता है और शेष देश में उपयोग में लाया जाता है उसके बाद भी देश में इनका 0.6 किलो प्रति हेक्टेयर के मान से उपयोग होता है। देश की कुल खपत का 24 प्रतिशत आंध्रप्रदेश, 13 प्रतिशत महाराष्ट्र, 11 प्रतिशत पंजाब, 8 प्रतिशत मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़, 7-7 प्रतिशत कर्नाटक व गुजरात, 5-5 प्रतिशत तमिलनाडु- हरियाणा, पश्चिम बंगाल तथा शेष 15 प्रतिशत अन्य राज्यों में होता है। देश में पौध संरक्षण रसायनों में 60 प्रतिशत खपत कीटनाशकों की 18 प्रतिशत फफूंदनाशक, 16 प्रतिशत नींदानाशक, 3 प्रतिशत जैविक पदार्थों तथा 3 प्रतिशत ही अन्य उत्पादों की होती है। भारत के पास विश्व क्षेत्र की मात्र 2.4 प्रतिशत भूमि तथा 40 प्रतिशत पानी है, जिससे उसे विश्व की 17.84 प्रतिशत जनता का जीवनयापन करने के लिए खाद्य का उत्पादन करना पड़ता है। भारतीय किसान की पौध संरक्षण में उदासीनता के कारण फसलों का 15-25 प्रतिशत उत्पादन नाशीजीव फसलों को नष्ट कर कम कर देते हैं। इस हानि को कम करके ही हम देश की फसलों की उत्पादकता तथा उत्पादन बढ़ा पाने में सक्षम हो पायेंगे। इसके लिए हमें पौध संरक्षण की नवीनतम विधियों को अपनाना होगा और देश में उत्पादित तथा उपयोग में आने वाले पौध संरक्षण रसायनों की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना होगा। अमानक पौध संरक्षण रसायनों के उत्पादन तथा विक्रय को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करना होगा, जो भारतीय किसानों की अनेक समस्याओं को जन्म देता है।

ऐसी कोई कठिनाई नहीं, जो आसान न हो जाये, इसलिए मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए। – शेखसादी

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