वनों का कैंसर लेन्टाना समस्या एवं समाधान
कहाँ उगता है
बहुतायत रूप में लैन्टाना के पौधे पहाड़ी क्षेत्रों ,खाली स्थानों, अनुपयोगी, भूमियों ओद्यौगिक क्षेत्रों, सड़़क व रेलवे लाइन के किनारों आदि स्थानों पर मुख्य रूप से पाया जाता हैं।
हानिकारक प्रभाव
- लेन्टाना एक बहुत खतरनाक व विषाक्त पौधा है।
- पौधे की पत्तियों एवं फूलों में लेन्टाडेन एंव लेमकैमे रेन नामक विषाक्त पदार्थ पाया जाता हैं। जिसके कारण पशुओं द्वारा इसकी पत्तियां खाने से उनमे अनेक प्रकार की बीमारियां पैदा हो जाती हैं। जैसे:-पीलिया, पशुओं को भूख न लगना, मुंह से अधिक मात्रा में लार निकलना, यकृत एवं गुर्दा खराब होना इत्यादि तथा ज्यादा खाने पर पशुओं की मृत्यु भी हो जाती है।
- वनों की जैवविधता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है ।
यह एक सदाबहार बहुवर्षीय झाड़ीनुमा पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम लैन्टाना कमरा है, इसे वनों का कैंसर भी कहते हैं। इसे हिन्दीं में कुर्री कहते हैं। जिसे अग्रेंज शासनकाल के दौरान भारत में सजावटी पौधे के रूप में ऑस्ट्रेलिया (1809) से लाया गया। आज यह पौधा पूरे भारत में विशेषकर उत्तर भारत के राज्यों मे एक प्रमुख समस्या बना हुआ है। सामान्यत: इस पौधे की ऊँचाई प्रजातियों के अनुसार 2-8 फीट तक होती है। इसका तना काष्ठीय व रोंयेदार होता है। पत्तियों रोंयेदार हरी 3-5 इंच लंबी होती हैं। पत्तियों के रगडऩे पर उनमें से एक विशेष प्रकार की गंध आती है। इसके फूल छोटे- छोटे गुच्छों में निकलते हैं। जिनका रंग सामान्यत: पीला,सफेद,गुलाबी अथवा क्रीमी होता है। |
- यह कृषि भूमि में भी स्थापित कर फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है
- लेन्टाना की जड़ें आमतौर से सतही होती हैं जो मृदा की ऊपरी सतह से पोषक तत्वों को अवशोषित कर फसलों को नुकसान पहुँचाता है।
कैसे करें नियत्रंण - विभिन्न रसायनों के प्रयोग से इस खरपतवार पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता। इन रसायनों में 2,4-डी ग्लायफोसेट व पेराक्वाट प्रमुख है।
- लेन्टाना के पौधे जमीन की ऊपरी सतह से काटकर कटे हुए भाग पर 2,4-डी का 10 प्रतिशत या ग्लायफोसेट 2-3 किग्रा/हे ़़़़़़़़़़़़़़़ 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से लेन्टाना की रोकथाम की जा सकती है।
- लेन्टाना के प्रभावी नियंत्रण के लिए अगस्त-सितम्बर के महीने मे इसके पौधों को जमीन की सतह 2-3 इंच से ऊपर काट दें।
- इसके 1 महीने बाद काटे हुए भाग से बहुत सी नयी शाखायें निकलती है जिससे ऊपर ग्लायफोसेट के 1 प्रतिशत घोल का अच्छी तरह छिड़काव करने से इस पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।