पेस्टीसाइड बिल में हो कठोर प्रावधान
भारत सरकार का कृषि मंत्रालय निकट भविष्य में पेस्टीसाइड्स प्रबंधन बिल लाने जा रहा है। इसके लिए 11 जनवरी 2018 को नई दिल्ली में डॉ. एस.के. पटनायक, सेक्रेटरी, कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग की अध्यक्षता में आयोजित की जा रही है, जिसमें इस बिल से संबंधित सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। देश में कृषि रसायनों मुख्य रूप से कीटनाशकों का सही उपयोग न होने के कारण हर वर्ष इनके कुप्रभाव से किसानों को अपने जीवन की बलि देनी पड़ती है। हर वर्ष लगभग 1000 किसान इन विषैले रसायनों से प्रभावित होते हैं। वर्ष 2015 में सात हजार से ज्यादा किसानों को इन रसायनों के कारण अपना जीवन खोना पड़ा।
देश में अभी भी बहुत से ऐसे कीटनाशक हैं जो अत्यधिक जहरीले हैं। इनमें दो कीटनाशक मोनोक्रोटोफॉस तथा आक्सीडेमेटान मिथाइल है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अत्यधिक विषैली श्रेणी (1 ए) में रखा गया है। देश के किसान अभी भी इनका उपयोग कर रहे हैं। मोनोक्रोटोफॉस कीटनाशक विश्व के 60 देशों में प्रतिबंधित है। दूसरे कीटनाशक जैसे फोरेट- 37 देशों, ट्राइजोफॉस- 40 देशों फास्फोमिडान- 49 देशों में प्रतिबंधित है परन्तु इनका उपयोग देश व प्रदेश में किसानों द्वारा बिना सोचे-समझे किया जा रहा है। जिसके कारण उन्हें ही इसका कुप्रभाव झेलना पड़ता है। इनके बाजार में बिना रोक-टोक के उपलब्ध होना किसान को इनके उपयोग के लिए प्रेरित करता है।
देश में फसलों के उत्पादन बढ़ाने में कीटनाशकों तथा अन्य कृषि रसायनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हम किसानों को उनके सही उपयोग व उनके विषैले प्रभावों से अवगत कराने में असफल रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम ऐसे नियम बनायें जो इन विषैले रसायनों के आयात, उत्पादन, बिक्री, विपणन एक जगह से दूसरे जगह ले जाने तथा उनके उपयोग से मनुष्यों तथा जानवरों पर कोई भी दुष्परिणाम होने से बचा जा सके।
आज किसान का पहला सलाहकार गांव का कृषि रसायन विक्रेता है, जो एक व्यापारी के रूप में झोला-छाप कृषि विशेषज्ञ बन जाता है। कृषि रसायनों के गलत उपयोग का कारण होता है यदि इन विषैले कृषि रसायन के कुप्रभाव से किसानों को बचाना है तो कृषि रसायन का व्यापार करने के लिए लाइसेंस कृषि स्नातकों को ही दिये जाने चाहिए तथा समय-समय पर इन विक्रेताओं का प्रशिक्षण भी आवश्यक है, जिसका प्रावधान आने वाले बिल में रखना चाहिए।
बिल में अमानक कृषि रसायनों के उत्पादन तथा बिक्री के लिए कठोर प्रावधानों को सम्मिलित करना आवश्यक है जिसके कारण किसान दोहरी- तिहरी मार खाता है।