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मृदा स्वास्थ्य कार्ड : किसानों की आज की आवश्यकता

इस योजना में, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया जाता है, जिसमें उनके खेत की मिट्टी की पूरी जानकारी लिखी होती है जैसे  उसमे कितनी-कितनी मात्रा किन-किन पोषक तत्वों की है और कौन-कौनसा उर्वरक किसानों को अपने खेतों में उपयोग करना होगा। यह योजना भारत के हर क्षेत्र में उपलब्ध है। सरकार ने इस योजना के तहत पूरे भारत के 14 करोड़ से भी ज्यादा किसानों को जोडऩे का लक्ष्य निर्धारित किया है। हर किसान को उसकी मृदा का स्वास्थ्य कार्ड प्रति 3 वर्ष में दिया जाता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या है?
मृदा स्वास्थ्य कार्ड, मृदा के स्वास्थ्य से सम्बंधित सूचकों और उनसे जुडी शर्तों को प्रदर्शित करता है। ये सूचक स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के सम्बन्ध में किसानों के व्यावहारिक अनुभवों और ज्ञान पर आधारित होते है। इसमें फसल के अनुसार, उर्वरकों  के प्रयोग तथा  मात्रा का संक्षिप्त ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता हैए ताकि भविष्य में किसान को मृदा की गुणवत्ता सम्बन्धी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े और फसल उत्पादन में भी कमी नहीं हो।
कृषि एवं इससे संबंधित गतिविधियां भारत में कुल सकल घरेलू उत्पाद में 30 फीसदी का योगदान करती है। कृषि सीधे तौर पर मिट्टी से जुड़ी है। किसानों की उन्नति मिट्टी पर निर्भर करती है, मिट्टी स्वस्थ तो किसान स्वस्थ। इसी सोच के आधार पर भारत सरकार ने राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में किसानों के लाभ हेतु राष्ट्रव्यापी ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ का शुभारंभ किया।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के लाभ
मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिलने पर किसानों को कई प्रकार के लाभ है-
  • इस योजना की मदद से किसानों को अपने खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी मिल पायेगी। इससे वो मन चाहे अनाज /फसल उत्पादन कर सकते है।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड हर 3 वर्ष में दिया जाता है, जिससे किसान को अपने खेत की मिट्टी के बदलाव के बारे में भी बीच-बीच में पता चलता रहेगा।
  • इस योजना के तहत किसानों को अच्छी फसल उगने में मदद मिलेगी जिससे उन्हें और देश दोनों का फायदा होगा।
  • इससे किसानों को भी आगे बढऩे का मौका मिलेगा और देश उन्नति की और बढ़ेगा।
मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच की प्रक्रिया
  • सबसे पहले किसान के खेत की मिट्टी का नमूना लिया जाता है।
  • उसके बाद उस मिट्टी के नमूने को परीक्षण प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
  • वहां विशेषज्ञ मिट्टी की जांच करते है तथा मिट्टी के बारे में सभी जानकारियां प्राप्त करते है।
  • उसके बाद रिपोर्ट तैयार करते है की कौनसी मिट्टी में क्या ज्यादा और क्या काम है।
  • उसके बाद इस रिपोर्ट को एक-एक करके किसान के नाम के साथ अपलोड किया जाता है जिससे की किसान अपनी मिट्टी की रिपोर्ट जल्द से जल्द देख सके और उसके मोबाइल पर इसकी जानकारी दी जाती है।
  • बाद में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रिंट करके दिया जाता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की सफलता
फरवरी 2015 में योजना की शुरुआत के बाद प्रथम चरण में 84 लाख किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण का लक्ष्य रखा गया था लेकिन जुलाई 2015 तक केवल 34 लाख किसानों को ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किया गया। देश के सभी राज्यों में मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करने  में आंध्र प्रदेश सबसे आगे है, तमिलनाडु और पंजाब दो अन्य राज्य है जिनमे खरीफ  में सबसे अधिक संख्या में मृदा परीक्षण के लिए मृदा नमूने एकत्रित किये। यद्यपि तमिलनाडु में अभी तक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित नहीं किये गए। उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और ओडिसा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के वितरण एवं आवंटन में अन्य अग्रणी राज्य है। हरियाणा, केरल, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, गोवा तथा पश्चिमी बंगाल आदि राज्यों के किसानों को 2015-16 के लक्ष्य के हिसाब से काम मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान किये गए।
  • सत्येन्द्र कुमार गुप्ता
    email: abhishekgupta1589@gmall.com
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