Editorial (संपादकीय)

थ्रेशर प्रचालन में सावधानियाँ व सुझाव

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थ्रेशर दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण
थ्रेशर पर काम करते समय दुर्घटनाएं मुख्यत: उचित जानकारी के अभाव में तथा कुछ असुरक्षित मशीनों के उपयोग से होती हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 73 प्रतिशत दुर्घटनाएं मानवीय कारणों से, 13 प्रतिशत मशीनी कारणों से तथा शेष 14 प्रतिशत दुर्घटनाएं अन्य कारणों से होती हैं। अत: इन दुर्घटनाओं से बचाव हेतु हमें मुख्य रूप से लोगों को जागरूक बनाने व थ्रेशर को सुरक्षित बनाने की आवश्यकता है।
थ्रेशर पर होने वाली दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में इस मशीन के तेज गति एवं भारी संवेग के साथ घूमने वाले कलपुर्जे हैं। इन कलपुर्जों जैसे थ्रेशिंग सिलिंडर, पंखे या पट्टों, आदि की चपेट में शरीर के अंगों के आने से दुर्घटना होती है। सर्वाधिक दुर्घटनाएं थ्रेशिंग सिलेंडर की चपेट में हाथों के आने से होती हैं।

सही मशीन का चुनाव करें

  • थ्रेशर खरीदते समय ध्यान दें कि भराई शूट आई.एस.: 9020-2002 के अनुरूप बनाई गई हो। जिसकी भरण नाली की लम्बाई कम से कम 900 मिमी. और चौड़ाई (ड्रम के मुंह पर) कम से कम 220 मिमी. और ऊपर से ढके हुये भाग की लम्बाई कम से कम 450 मिमी. हो जिससे  हाथ गहाई धुरे तक आसानी से न पहुँच सके। ढंके हुए भाग का उठाव 10 से 30 डिग्री होना चाहिए। भराई शूट को थ्रेशर से 5-10 अंश के कोण पर ऊपर की ओर झुका देने से फसल आसानी से थ्रेशर में पहुँच जाती है। भरण नाली में कहीं भी नुकीले किनारे नहीं हो।
  • थ्रेशर खरीदते समय यह ध्यान दें कि थ्रेशर के घूमने वाले कलपुर्जे जैसे पुली व पट्टे सही तरीके से गाईस/आवरण लोहे की मोटे तार की जाली से ढंकें हों।

अत्यधिक थकान-दुर्घटना को आमंत्रण

  • थकावट होने पर कुछ देर कार्य को रोक दें। कुछ दुर्घटनायें अत्याधिक थकान के कारण भी होती हैें। अत: कभी भी थकान की दशा में थ्रेशर पर कार्य न करें, विशेष-कर फसल शूट भराई  का कार्य तो कदापि नहीं करें।
  • थ्रेशर के भराई शूट की ऊंचाई अपनी कोहनी की ऊँचाई के बराबर रखें। भराई शूट की ऊॅंचाई अधिक होने पर हाथ ऊपर उठाना पड़ता है तथा कम होने पर कमर झुकानी पडती है-और दोनों ही दशा में अधिक थकान होती है।
  • थ्रेशर पर लगातार 3-4 घंटे से अधिक कार्य न करें।

आग से बचाव

  • थ्रेशर में फसल डालने से पहले ध्यान रखें कि थ्रेशर के अंदर घूमने वाले लोहे के पुर्जे खासतौर पर ड्रम के अंदर वाले पुर्जे ढीले न हों अथवा आपस में रगड़ कर न चल रहे हों। इनमें घर्षण के कारण आग लग सकती है।
  • खेतों या खलिहानों में जहां थ्रेशर चल रहा हो वहां जमीन पर पड़े बिजली के तारों को खुला न रहने दें। इससे चिंगारी निकलने से खलिहान में आग लग सकती है तथा तार से किसी व्यक्ति के संपर्क में आने पर करंट लग सकता है।
  • थ्रेशर व ट्रैक्टर/इंजन इस प्रकार लगायें कि हवा के झोके से चिनगारी उड़कर आग लगने का खतरा न हो। ट्रैक्टर/इंजन का धुंआ निकलने वाला पाइप हमेशा उध्र्वाधर स्थिति में हों एवं उस पर चिंगारी अवरोधक लगा हो।
  • जहॉं तक सम्भव हो थ्रेशर को कभी भी ट्रांसफार्मर या बिजली के तारों के नीचे न लगायें।
  • खलिहानों में धूम्रपान बिल्कुल न करें और ना ही किसी को ऐसा करने दें।
  • आग से दुर्घटना की रोकथाम के लिए खलिहान में बालू का ढेर तथा बाल्टियां आदि रखें।

थ्रेशर में फसल डालने का सही तरीका अपनायें

  • एक व्यक्ति द्वारा मशीन में फसल डालने का काम करने पर प्राय: फसल को जल्दी से थ्रेशर में डालने की कोशिश की जाती है ताकि फसल उठाने के लिये पर्याप्त समय मिल सके। इस जल्दबाजी के कारण भी कभी-कभी दुर्घटनाएं हो जाती हैं। इसलिए थ्रेशर में फसल डालने का काम दो व्यक्तियों द्वारा किया जाना चाहिए। एक व्यक्ति फसल को नीचे से उठाए तथा दूसरा उसे मशीन में डाले।
  • फसल अंदर डालने वाले व्यक्ति के खड़े होने की जगह समतल और मजबूत होनी चाहिये। चारपाई, अनाज के बोरे, फसलों के ग_र या टायर आदि पर खड़े होने से शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है और मशीन पर गिरने की प्रबल संभावना रहती है।
  • यदि व्यक्ति ऊँचे प्लेटफार्म पर खड़ा हो या सीधे  ट्रैक्टर की ट्राली से ही फसल को थ्रेशर में डाल रहा हो तो वह हाथों के अलावा कभी-कभी पैरों से भी फसल को अन्दर धकेलता है। फसल के अचानक अन्दर प्रवेश करने पर हाथ या पैर का अन्दर जाना स्वाभाविक ही है। अत: फसल को पैरों से अन्दर धकेलने की कोशिश न करें।
  • फसल के भराई शूट में फंसने की दशा में शक्ति लगाकर अंदर धकेलने के बजाय पहले बाहर खींचे तथा थोड़ा-थोड़ा करके लगातार फसल अंदर डालें।
  • झाड़ीदार फसलों जैसे सोयाबीन, चना, मसूर, मटर, कदन्न फसलों आदि की गहाई करतेे समय विशेष सावधानी रखें।
  • हाथों में चुभने वाली फसलों की गहाई करते समय किसान प्राय: गमछा, पुराना कपड़ा या बोरे का टुकड़ा हाथ पर लपेट लेते हैं, ऐसा करना भी खतरे से खाली नहीं है। कपड़े या बोरे का रेशा अक्सर थ्रेशर के धुरे में लिपट जाता है जिससे हाथ भी खींचकर अन्दर चला जाता है। अत: इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बचने हेतु हाथों मे रबर या चमड़े के दस्तानें पहनें।
  • थ्रेशर चालक के ढीले कपड़े, जैसे कि गमछा, धोती, साड़ी आदि या बाल मशीन के पट्टों या अन्य घूमने वाले कलपुर्जों में उलझ जाते हैं और व्यक्ति गंभीर दुर्घटना का शिकार हो जाता है। इस प्रकार की कुछ दुर्घटनायें जानलेवा भी हो सकती हैं। अत: थ्रेशर पर काम करते समय ढीले कपड़े न पहनें। औरतें अपने बाल तथा साड़ी कस कर बॉंधें व लपेटें।
  •  जब थ्रेशर को बेल्ट-पुली का उपयोग करके ट्रैक्टर या अन्य किसी शक्ति स्रोत से चलाया जाता है तब घूमने वाले कलपुर्जों को लकड़ी के फ्रेम या लोहे की जाली से ढक कर रखें अथवा विशेष सावधानी रखें।

अन्य सावधानियां

  • रात को थ्रेशर पर कार्य करते समय पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें।
  • थ्रेशर प्रचालन के दौरान थ्रेशर में किसी प्रकार को समायोजन न करें।
  • किसी प्रकार का नशा आदि करके थ्रेशर पर कार्य बिल्कुल न करें।
  • भूसे की निकासी हवा की दिशा की ओर रखें। भूसे की बारीक धूल श्वांस के साथ फेफड़ों में जाती है और फेफड़ों की सीरोसिस बीमारी का कारण हो सकती है। अत: नाक व मुंह पर कपड़ा बांधें या मॉस्क का उपयोग करें।
  • थ्रेशर में फसल जाम हो जाने की स्थिति में सबसे पहले थ्रेशर को बंद करें उसके पश्चात ही थ्रेशिंग सिलिेंडर इत्यादि को साफ  करने का प्रयास करें।
  • बिजली की लाइन में फ्यूज तथा स्टार्टर का होना अत्यन्त जरूरी है। इनके बिना मोटर को सीधे बिजली पहुंचाना, मौत को बुलावा देना है, ऐसा न करें।
  • बिजली की मोटर का मेन स्विच थ्रेशर चालक की पहुंच के अंदर होना चाहिए जिससे आवश्यकता पडऩे पर मोटर को तुरंत बंद किया जा सके।
  • बच्चों, बूढ़ों एवं बीमार व्यक्तियों को थ्रेशर पर काम न     करने दें।
  • छोटी-मोटी चोट के उपचार के लिए प्राथमिक उपचार बॉक्स खलिहान में अवश्य रखें।

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