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दूध उत्पादन के नये आयाम

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देश ने दूध उत्पादन में सकारात्मक उन्नति की है। वर्ष 1991-92 में जहां देश में दूध का उत्पादन मात्र 556 लाख टन होता था वहां 2001-02 में यह बढ़कर 844 लाख टन तक पहुंच गया था। पिछली शताब्दी के अन्तिम दस वर्षों में यह वृद्धि 288 लाख टन की हुई। वर्ष 2011-12 में दूध उत्पादन बढ़कर 1279 लाख टन तक पहुंच गया। इस शताब्दी के पहले दस वर्षों में दूध का उत्पादन 435 लाख टन बढ़ा जो वर्ष 1991-92 के कुल उत्पादन से मात्र 121 लाख टन कम है। वर्ष 2015-16 में दूध का उत्पादन 1559 लाख टन तक पहुंच गया जो वर्ष 1991-92 के उत्पादन से लगभग तीन गुना ज्यादा है। यह कोई साधारण वृद्धि नहीं है। यदि इसी गति से दूध उत्पादन में वृद्धि होती है तो यह देश में दूध की नदियां बहती थी, कहावत को चरितार्थ कर देगी।
दूध उत्पादन के साथ-साथ प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में भी सकारात्मक अन्तर देखने को मिलता है। वर्ष 1991-92 में जहां प्रति व्यक्ति मात्र 176 ग्राम दूध उपलब्ध था वहां यह बढ़कर 2001-02 में 255 ग्राम तथा 2011-12 में 290 ग्राम तक पहुंच गया। वर्ष 2015-16 में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 337 ग्राम तक पहुंच गई। यह 1991-92 में प्रति व्यक्ति उपलब्धता की लगभग दुगनी है। यदि यह उपलब्धता इस दर से नहीं बढ़ती तो बच्चों के पोषण का क्या हाल होता।
मध्य प्रदेश में भी दूध उत्पादन में वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2001-02 में जहां दूध का उत्पादन मात्र 52.83 लाख टन था। मध्य प्रदेश में यह वृद्धि वर्ष 2010-11 के बाद देखने को मिली है। वर्ष 2001-02 के 52.83 से वर्ष 2010-11 में यह उत्पादन 75.14 लाख टन ही पहुंच पाया था परन्तु वर्ष 2014-15 में यह बढ़कर 107.79 लाख तक पहुंच गया। राजस्थान में वर्ष 2001-02 में दूध का उत्पादन 77.58 लाख टन था जो वर्ष 2010-11 में बढ़कर 132.34 लाख टन तक पहुंच गया था और वर्ष 2014-15 तक यह बढ़कर 169.34 लाख टन तक पहुंच गया। मध्य प्रदेश में अभी भी दूध उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। दूध उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ काफी पीछे है। वर्ष 2001-02 में जहां दूध का उत्पादन 7.95 लाख टन था। अब यह वर्ष 2014-15 में बढ़कर 12.32 लाख टन तक पहुंच गया है। पिछले 14-15 वर्ष में छत्तीसगढ़ में 4.27 लाख टन दूध उत्पादन में वृद्धि हो पाई है।
मध्य प्रदेश में वर्ष 2001-02 में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन जहां 240 ग्राम दूध उपलब्ध था वहीं राजस्थान व छत्तीसगढ़ में यह क्रमश: 376 व 131 ग्राम था। वर्ष 2015-16 में मध्य प्रदेश में यह बढ़कर 428 ग्राम, राजस्थान में 704 तथा छत्तीसगढ़ में घटकर मात्र 43 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन ही रह गया। कुपोषण को रोकने तथा किसान की आय बढ़ाने में दूध उत्पादन अपना योगदान दे सकता है। दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ तथा मध्यप्रदेश में अपार संभावनाएं हंै।

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