पोषण पर वैज्ञानिक चिंतन की आवश्यकता : श्रीमती चिटनिस
पोषण जागरुकता पर 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला 14 मई से
भोपाल। पोषण पर वैज्ञानिक तरीके से सोचने की जरूरत है। पोषण की स्थिति में सुधार केवल आर्थिक सहयोग से ही पूरा नहीं किया जा सकता, इस दिशा में कृषि, जीवनशैली, व्यवहार परिवर्तन आदि को समग्रता में देखते हुए ही हम आगे बढ़ सकते हैं। खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर लेने के बाद अब कृषि को पोषण से जोडऩे और पोषण जागरूकता के लिए व्यापक अभियान चलाने की आवश्यकता है। इस स्थिति पर विचार-विमर्श के लिए भोपाल में 14 से 16 मई 2018 तक पोषण संवेदी कृषि और पोषण जागरूकता पर अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है। यह जानकारी महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने गतदिनों दी।
श्रीमती चिटनिस ने बताया कि पोषण जागरूकता की दिशा में प्रदेश में लगातार प्रयास जारी है। प्रदेश के सभी 313 विकासखण्डों में से प्रत्येक में एक गांव को न्यूट्रीशन स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित किया गया है। यह गांव पोषण संवेदी कृषि और पोषण जागरूकता पर कार्य करते हुए पोषण आत्मनिर्भर गांव के वर्किग मॉडल के रूप में विकसित हो रहे हैं।
जो खायें वो उगायें – जो उगायें वो खायें- का सिद्धांत कार्यशाला के संचालन का आधार होगा। कार्यशाला में विभिन्न विषयों पर केन्द्रित प्रदर्शनी तथा स्टॉल भी लगाये जायेंगे। इस अवसर पर प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास श्री जे.एन. कंसोटिया, प्रबंध संचालक सुश्री सोनाली वायंगणकर एवं यूनीसेफ के स्टेट हेड श्री माइकल जूमा भी उपस्थित थे।