मध्य प्रदेश के बासमती को मान्यता मिले
मुख्यमंत्री सहित केन्द्रीय मंत्रियों ने की केन्द्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गत दिनों नई दिल्ली में प्रदेश के दो केन्द्रीय मंत्री सर्वश्री नरेन्द्र सिंह तोमर और श्री थावरचंद गहलोत के साथ केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह से मुलाकात कर कृषि संबंधी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। जी.आई. बासमती के संबंध में केन्द्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि मध्यप्रदेश के किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। कृषि मंत्रालय इस संबंध में अपना मत तथ्यों के अध्ययन के बाद केन्द्र सरकार को देगा।
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री सिंह ने नैफेड के अधिकारियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आगामी 10 अप्रैल से चना, मसूर और सरसों को खरीदने के निर्देश दिये। साथ ही कृषि उपज मंडियों के लिए सर्वेयर शीघ्र नियुक्त किये जाने के भी निर्देश दिये। केन्द्रीय मंत्री ने प्रति कृषक एक दिन में विक्रय करने की सीमा 25 हजार को भी समाप्त किया।
श्री चौहान ने केन्द्रीय कृषि मंत्री से आग्रह किया कि चना, मसूर एवं सरसों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आगामी 10 अप्रैल से 31 मई तक नैफेड द्वारा किया जाय। साथ ही नैफेड की साख सीमा 19 हजार करोड़ से बढ़ाई जाय। श्री चौहान ने उपार्जित चना, मसूर और सरसों के भंडारण के लिए 30 किलोमीटर की तय सीमा को बढ़ाकर 80 किलोमीटर की सीमा में वेयर हाउसिंग के गोदामों में भंडारण करने की अनुमति देने का आग्रह किया।
श्री चौहान ने मध्यप्रदेश के धान को बासमती जी.आई. टैग न दिये जाने पर भी विरोध जताया। उपस्थित केन्द्रीय मंत्री द्वय श्री नरेन्द्र सिंह तोमर और श्री थावरचंद गहलोत ने भी श्री चौहान का समर्थन करते हुए अपना विरोध दर्ज किया और कहा कि मध्यप्रदेश के 13 जिलों में उत्पादित चावल पिछले 108 वर्षों से बासमती के नाम से जाना जाता है। पूरे विश्व में इसकी पहचान है। आई.सी.ए.आर. को इस संबंध में पूरी रिपोर्ट दी जा चुकी है। रिपोर्ट में राज्य की ओर से ऐतिहासिक तथ्यात्मक और तकनीकी बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया गया है कि मध्यप्रदेश के इन 13 जिलों में पैदा किया हुआ चावल बासमती ही है। इस मौके पर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पी.सी. मीना भी उपस्थित थे।