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समस्या- मैं रायपुर जिले का कृषक हूं। मैं ग्वारपाठा लगाना चाहता हूं विस्तार से जानकारी दें।

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– घनश्यामदास डागा, आरंग, रायपुर (छ.ग.)
समाधान – आपने औषधि फसल ग्वारपाठा के विषय में जानकारी चाही है कुछ शंका समाधान भी चाहा है ग्वारपाठा की खेती आपके प्रदेश में सफलता से हो सकती है तथा लाभकारी भी हो सकती है। आपकी सूचना के लिये आपको बता दें कि कृषक जगत के अंक 7 से 13 अप्रैल में प्रकाशित अखबार में ग्वारपाठा के विषय में विस्तार से प्रकाशन किया जा चुका है। साथ ही कृषक जगत द्वारा औषधि फसलों की उत्पादन तकनीकी पर एक किताब का भी प्रकाशन किया गया है। आपकी जिज्ञासा के लिये उत्पादन के कुछ प्रमुख बिन्दु निम्नानुसार है।

  • इसकी खेती असिंचित/सिंचित दोनों अवस्था में की जा सकती है तथा भारी जमीन से लेकर हल्की जमीन भी इसके लिये उपयोगी है।
  • जातियों में जाफराबादी, एलोवेरा इंडिका, एलोवेरा स्पेसेस, आईसी 1267, 11269,11271 तथा आई.सी. 111267 इत्यादि।
  • 1&1 मीटर दूरी पर इसकी रोपाई की जा सकती है। एक हेक्टर में 40,000 पौध लगाये जा सकते हैं ।
  • पत्तियों की अच्छी बढ़वार के लिये 260 किलो यूरिया तथा 500 किलो सिंगल सुपर फास्फेट/हे. की दर से दिया जा सकता है।
  • एक बार रोपी गई फसल 4-5 वर्ष तक पत्तियां देती है। पहली कटाई लगाने से 9-10 माह बाद की जाना चाहिये।
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