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गर्मी में दुधारू पशुओं का बचाव कैसे करें

हरे चारे व सन्तुलित आहार का प्रबन्ध
हम जानते हैं कि गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी आ जाती है विशेष तौर से मई व जून के महीनों में, अगर हमें ठीक प्रकार से फसल चक्र बनाकर हरे चारे की व्यवस्था करेंगें तो गर्मी के मौसम में भी हम अपने पशुओं के लिए हरे चारे प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ-साथ अगर हम मार्च अप्रैल के महीने में अधिक बरसीम को हम ‘हे’ बनाकर ऊपर लिखित कमी वाले समय में खिलाकर हरे चारे की पूर्ति कर सकते हैं।
संतुलित आहार
संतुलित आहार वह आहार होता है जिसके अन्दर प्रोटीन, ऊर्जा, खनिज तत्व व विटामिन इत्यादि उपलब्ध हों तथा 100 किलो संतुलित आहार इस प्रकार से बनाएँ – गेहूं, मक्का व बाजरा इत्यादि अनाज 32 किलोग्राम, सरसों की खल 10 किलोग्राम, बिनौले की खल 10 किलोग्राम, दालों की चूरी 10 किलोग्राम, चौकर 25 किलोग्राम, खनिज मिश्रण 2 किलोग्राम व साधारण नमक एक किलोग्राम लें। इसके साथ-साथ गर्मी के मौसम में पशुओं को प्रोटीन की मात्रा यानि की पशु आहार के अन्दर खलें जैसे सरसों की खल इत्यादि की मात्रा 30 से 35 प्रतिशत बढ़ा दें तथा इस प्रकार हम गर्मी के मौसम में हरे चारे व संतुलित आहार तथा विशेष प्रोटीनयुक्त चारा खिलाने से अपने पशुओं को गर्मी से बचाकर दूध उत्पादन बनाकर रख सकते हैं।

किसान के लिए पशुधन आवश्यक ही नहीं अपितु परमावश्यक धन है। उनकी जीवनशैली, दिनचर्या, खानपान व सम्पत्ति पशुधन के चारों तरफ घूमती है। सिकुड़ती ज़मीन, बढ़ते परिवारों के खर्च किसान के लिए यह और भी आवश्यक कर देते हैं कि वह अपने पशुधन से अधिकतम आय व लाभ प्राप्त कर सकें। इसके लिए पशु को अधिक गर्मी व अन्य दूषित वातावरण से पशुधन को बचाकर अच्छे व्यवहार के साथ रखना आवश्यक है ताकि पशु की ऊर्जा गर्मी से लडऩे में व्यर्थ न हो और यह ऊर्जा आदर के साथ उत्पादन बढ़ाने में लगे। गर्मी के मौसम में वातावरण का तापमान काफी बढ़ जाता है। कई बार तो तापमान 50 डिग्री सेन्टीग्रेड तक चला जाता है जो कि पशु के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। हम जानते है कि गाय व भैंस के शरीर का सामान्य तापमान 101.5 डिग्री फारेनहाईट व 98.3 – 103 डिग्री फारेनहाईट सारे साल रहता है। पशुओं के अच्छे उत्पादन के लिए सामान्यत: 5 से 25 डिग्री सेन्टीग्रेड का तापमान बड़ा अनुकूल है। इस तापमान से अधिक और कम तापमान से बचाव के लिए प्रबन्ध करना बहुत आवश्यक है। हम जानते हैं कि गर्मी के मौसम में प्रतिकूल तापमान से प्रभावित होने के कारण पशुओं का दूध उत्पादन कम हो जाता है। अगर हम अपने पशुओं का ठीक ढंग से हरे चारे व संतुलित आहार का प्रबन्ध, पानी व अन्य देखभाल ठीक करेंगें तो गर्मी के मौसम में अपने दुधारू पशुओं से पूरा उत्पादन ले सकते हैं।

पानी गर्मी के मौसम में पशु अपने शरीर की गर्मी को कम करने के लिए पानी की अधिक मात्रा ग्रहण करता है तथा शरीर के अतिरिक्त तत्व पसीने के द्वारा, पेशाब व गोबर के द्वारा व अन्य अंगों से बाहर निकालता है तथा अपने शरीर को तन्दरूस्त रखता है। क्योंकि पशु शरीर के अन्दर 65 प्रतिशत पानी होता है जो कि पशु की सारी क्रियाएं सुचारू रूप से च्लाता है। गर्मी के मौसम में अक्सर पशु शरीर के अन्दर पानी की कमी आ जाती है। इसके लिए हमें विशेष ध्यान रखकर पशु के शरीर की पानी की पूर्ति करें। हम जानते हैं कि दूध के अन्दर पानी की मात्रा तकरीबन 87 प्रतिशत होती है। अगर पशु के शरीर के अन्दर पानी की कमी होगी तो दूध उत्पादन निश्चित रूप से कम हो जाएगा। वैसे पशु को पानी की जरूरत मुख्य रूप से तीन आधारों पर निर्भर करती है:-
दूध उत्पादन की जरूरत
पशु शरीर के हर 100 किलोग्राम वजन पर तकरीबन 5 लीटर पानी की जरूरत होती है। अत: पशुपालक भाईयों को सलाह दी जाती है कि पशु के शरीर का वजन का हिसाब लगाकर पानी की पूर्ति करें। तकरीबन हमारी दुधारू भैंसों का वजन 500 से 600 किलोग्राम प्रति भैंस होता है। इसके हिसाब से हिसाब लगाकर पानी की पूर्ति करें।
दुधारू पशु को एक किलोग्राम दूध पैदा करने के लिए तकरीबन एक किलोग्राम पानी की जरूरत होती है। इसलिए आप अपने पशु का दूध उत्पादन का हिसाब लगाकर उससे भी अधिक पानी की पूर्ति करें। इस प्रकार खिलाए चारों की किस्म (सूखा-हरा) का हिसाब लगाकर पानी की पूर्ति करें। क्योंकि अगर हमने बरसीम खिलाई है तो उससे पशु को तकरीबन 70 से 80 प्रतिशत पानी मिलता है, इसी प्रकार अगर हरी ज्वार खिलाई है तो तकरीबन 55 से 60 प्रतिशत पानी मिलता है। इसलिए ऊपर लिखित आधार को ध्यान में रखकर हम कह सकते हैं कि गर्मी के मौसम में अच्छा दूध उत्पादन लेने के लिए अच्छे दूधारू भैंस जिसका दूध उत्पादन करीबन 15 से 20 किलोग्राम प्रतिदिन हो उसे 70 से 80 लीटर स्वच्छ व ठंडा पानी गर्मी के मौसम में 24 घण्टे में पिलाने से हम अपने दूधारू पशुओं का दूध उत्पादन बनाकर रख सकते हैं।

अन्य देखभाल
गर्मी के मौसम में पशुओं को कम से कम चार-पॉंच बार स्वच्छ व ठंडा पानी पिलाएं तथा बचा हुआ पानी पशु (भैंस) के शरीर व सिर पर डालें इससे पशु गर्मी के मौसम में भी नये दूध हो सकते हैं। पशुओं की चारे की खोर को रात को चारे से भरकर रखें क्योंकि गर्मी के मौसम में पशु रात को चरता है तथा तूड़ी व सूखा चारा खासतौर से रात को खिलाएं ताकि पशु के शरीर के अन्दर कम गर्मी पैदा हो। रोजाना सुबह मादा पशुओं की जांच करें, कही आपका पशु गर्मी में तो नहीं आया, अगर आया तो उसे हमेशा टूटते आम्बे में (आखिरी आठ घण्टे) में कृत्रिम गर्भाधान करवाएं या उत्तम सांड से मिलवाएं। गर्मी के मौसम में पशुओं को छायादार पेड़ों के नीचे बांधे तथा सीधी गर्मी पशु को ना लगे तथा पशुघर के अन्दर पशु को गर्मी से बचाने के लिए रखते है तो घर के अन्दर हवा का आवागमन होना जरूरी है नहीं तो गैसों की उत्पत्ति हो जाएगी जिससे पशु का स्वास्थ्य प्रभावित होगा। अगर लू चल रही हो तो पशु घर की खिड़कियों पर गीली करके बोरी या टाट इत्यादि लगा दें और ध्यान रखें कि बोरी हो या टाट खिड़की को चिपके नहीं। यदि पशु को लू लग गई है तो अधिक मात्रा में ठण्डा पानी पिलाएं तथा साथ में मिलाकर नमक व चीनी का घोल दें। इसके बाद यदि दिक्कत है तो पशु चिकित्सक की सेवा लें। गर्मी के मौसम में भैसों को जोहड़ में लिटाना व शंकर नस्ल की गायों को नहलाना बहुत अच्छा व फायदेमंद होता है परन्तु ध्यान रखें स्वच्छ, साफ व ठण्डा पानी पशु को घर में पिलाकर जोहड़ में भेजें तथा 12 से 4 बजे के बीच भैसों को जोहड़ से बाहर न निकालें, क्योंकि इस समय के दौरान भैसों को बाहर निकालने से उनको सुनपात हो सकता है। पशुओं को बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण का कार्यक्रम अपनाएं जिससे पशुओं को मुंह-खुर, गल-घोंटू इत्यादि बीमारियों से बचाया जा सके इसके साथ-साथ परजीवियों जैसे कि मच्छर, मक्खी व चीचड़ इत्यादि का उपचार करें। इसलिए यह सच है कि उचित प्रबन्धन करके आप भी अपने पशुओं को हरे चारे, सन्तुलित आहार मौसम के हिसाब से खिलाएंगें, स्वच्छ-साफ व ठण्डा पानी, दूध व अन्य खान-पान पशु के शरीर के हिसाब से खिलाएं-पिलाएंगें, घर के अन्दर पूरा स्थान व आराम प्रदान करेंगें। बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण का कार्यक्रम अपनाकर व परजीवियों का उपचार करके तथा अच्छे व्यवहार के साथ रखेंगें तो हम भी गर्मी के मौसम में अपने पशुओं का दूध उत्पादन व प्रजनन क्रिया सुचारू रूप से चला सकते हैं।
  • डॉॅं. रूपेश जैन
  • डॉॅं. पी.पी. सिंह
    email : rupesh_vet@rediffmail.com
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