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जीएसटी का कृषि पर असर

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अन्तत: जीएसटी (गुड्स तथा सर्विस टैक्स) 1 जुलाई 2017 से लागू हो गया। कृषि पर इसका एक मिला-जुला असर पडऩे वाला है। जहां बीज, कार्बनिक खाद जो किसी ब्रांड नाम से न बेची जाती हो उस पर पहले की तरह कोई कर नहीं लगेगा। हेन्डपंप तथा उसके कलपुर्जे पर अब तक जो 12.5 प्रतिशत टैक्स लगता था उस पर मात्र 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा। ट्रैक्टर पर भी कर 12.5 प्रतिशत से घटाकर 12.0 प्रतिशत कर दिया गया है। उपरोक्त चीजों का छोटे किसानों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इनका असर उपयोग करने वाले किसानों पर वर्षों में एक-दो बार ही पड़ेगा। जीएसटी का लाभ किसानों को रसायनिक उर्वरकों की खरीद पर अवश्य दिखाई देगा क्योंकि इन पर कर की दर 12.5 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत ही रह जायेगी। इस कमी का लाभ उपभोक्ता किसानों को कितना मिल पायेगा यह समय ही बतायेगा। जीएसटी के कारण ट्रैक्टर के टायर व रिम व इसके अन्य कलपुर्जों पर कर जो अब तक 12.5 प्रतिशत लगता था वह 18.0 प्रतिशत लिया जायेगा। बड़े किसान के काम आने वाले हारवेस्टर, थ्रेशर व अन्य यंत्रों पर जिनमें किसान को अभी तक छूट मिली थी अब 12.0 प्रतिशत कर देना होगा। सिंचाई यंत्रों, ड्रिप, स्प्रिंकलर पर भी कर की दर जो अभी तक 5 प्रतिशत थी अब बढ़कर 18 प्रतिशत हो जायेगी जिसका असर सिंचित क्षेत्र में वृद्धि के लक्ष्यों पर होगा। इसका असर छोटे किसानों को भी भुगतना होगा जो बड़े किसानों से किराये पर इनका उपयोग करते हैं। इससे फसल लागत पर निश्चित ही बुरा प्रभाव पड़ेगा। जागृत किसानों पर सबसे अधिक असर कीटनाशक तथा अन्य पौध संरक्षण रसायनों में कर वृद्धि से होगा। इन रसायनों पर अब तक 5.5 प्रतिशत कर लगता था जो जीएसटी लागू होने के बाद 18.0 प्रतिशत हो जायेगा। इसका प्रभाव किसानों द्वारा इनके उपयोग पर भी पड़ेगा। सामान्य किसान अभी भी कीटनाशकों तथा अन्य कृषि रसायनों के प्रति उदासीन रहता है और यह इनके उपयोग के बारे में यदि वह सोचता भी ह,ै तो इनकी कीमत बाधा के रूप में सामने आ जाती है। इनकी कीमत बढऩे के कारण किसान इनके उपयोग के प्रति और उदासीन हो जायेंगे। जिसका प्रभाव उत्पादन तथा किसान की आय पर अवश्य पड़ेगा। अब सरकार का दायित्व बनता है कि वह इन रसायनों की कीमत उनकी लागत के आधार पर निश्चित करने के लिए उत्पादक कम्पनियों को बाध्य करें। जीएसटी के कारण राष्ट्रीय कृषि मण्डी योजना को बल तो मिलेगा परन्तु जब तक कृषि उत्पादों के यातायात में अभूतपूर्व सुधार नहीं होता तब तक इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पायेगा। स्थानीय मंडियों में बिचौलियों के गौरखधंधे से किसानों को बचाने के लिए राष्ट्रीय कृषि मंडियां एक अहम भूमिका निभा सकती हैं परन्तु इसके लिए किसानों को जागरुक करना आवश्यक है। इसके लिए एक अभियान की आवश्यकता है और मंडियों को भी अपनी साख बनानी होगी।

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