जीएसटी
आज केन्द्र सरकार द्वारा कई अलग-अलग वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त शुल्क वगैरह नाम से अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं और सेवाओं के ऊपर सर्विस टैक्स (सेवा कर) लगाया जाता है। राज्य सरकार द्वारा वैट केन्द्रीय बिक्री कर, खरीद कर, मनोरंजन कर, लाटरी टैक्स, चुंगी कर (ऑक्टोराइ), प्रवेश कर वगैरह नाम से अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं। इसके अलावा केन्द्र और राज्य द्वारा अलग-अलग प्रकार के सेस या सरचार्ज (अधिभार) भी लगाया जाता है। जीएसटी में अब यह सब अलग-अलग कर निकल जाएगा और सिर्फ एक टैक्स जीएसटी लगेगा जो हर वस्तुओं एवं सेवा के ऊपर लगेगा। एक वस्तु के ऊपर जो भी जीएसटी का टैक्स रेट होगा वो पूरे भारत में एक ही दर रहेगा।
बड़ी संख्या में केन्द्र और राज्यों के द्वारा लगाए जा रहे करों को मिलाकर अकेला एक कर बना दिए जाने से अनेकानेक कर और दोहरे कराधान की समस्या हल हो जाएगी और एकीकृत राष्ट्रीय बाजार के लिए रास्ता साफ हो जाएगा। उपभोक्ता की दृष्टि से देखें तो, सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि वस्तुओं पर लगने वाले कर के बोझ में कमी आ सकेगी। आज यह कर बोझ 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत के लगभग है। जीएसटी के लागू किए जाने से भारतीय उत्पादक घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि इससे आर्थिक विकास पर बहुत उत्साहजनक प्रभाव पड़ेगा।
संविधान में जीएसटी मसले में (रेट सहित) सभी महत्व के बिन्दु पर महत्वपूर्ण मसले के ऊपर निर्णय लेने के लिए पूरा अधिकार जीएसटी काउंसिल को दिया है। काउंसिल की मीटिंग में अभी तक जो निर्णय हुए हैं उसमें मुख्य निर्णय ये हैं कि सब बिन्दुओं को 4 रेट में से किसी एक रेट का टैक्स लगेगा- 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 28 प्रतिशत। इसके अलावा कुछ वस्तु एवं सेवा ऐसी होंगी जिसके ऊपर कोई टैक्स नहीं लगेगा। यानी कि वो छूट प्राप्त लिस्ट की आइटम होगी। सोना-चांदी और उससे बने आभूषण के ऊपर एक विशेष रेट होगा जो अभी निश्चित करना बाकी है। एक्सपोर्ट करने वाले आइटम में जो भी टैक्स देश के अंदर चुकाया होगा उसका पूरा रिफंड मिलेगा। आयात की गई वस्तु पर कस्टम ड्यूटी के अलावा उतना ही जीएसटी लगेगा जितना देश के अंदर जीएसटी उस वस्तु के लिए है। जीएसटी लागू करने के बाद व्यापारियों को और उत्पादकों को अब एक ही टैक्स की प्रक्रिया करनी पड़ेगी। सबसे बड़ा फायदा छोटे व्यापारियों को दिया गया है, अभी देश के ज्यादातर राज्य में 10 लाख से ऊपर वाले व्यापारियों को वैट भरना पड़ता है। जीएसटी में विशेष कटेगरी के पहाड़ी इलाकों वाले राज्य को छोड़कर बाकी सब राज्यों में ये लिमिट 20 लाख की कर दी गई है।
जीएसटी को लेकर पूरे देश में एक उत्सुकता है। लोग ये समझना चाहते हैं कि जीएसटी आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार क्यों माना जाता है? इस लेख में जीएसटी के स्वरूप, जीएसटी के कुछ फायदे और जीएसटी में टैक्स की वसूली और रिटर्न भरने की प्रक्रिया क्या होगी उसके बारे में कुछ बिन्दु प्रस्तुत करूंगा। |
इसका मतलब ये हुआ कि जिस व्यापारी का वार्षिक टर्न-ओवर 10 लाख के बीच में था उसे भी अब कोई टैक्स नहीं देना होगा और न ही उसके लिए रजिस्ट्र्ेशन लेना अनिवार्य होगा। अभी वैट, सर्विस टैक्स और एक्साइज नम्बर जिसके पास है उनमें से ज्यादातर लोगों का पंजीकरण जीएसटी प्रक्रिया में हो चुका है।
महीने में रिटर्न
जीएसटी में हर व्यापारी को महीने में एक बार मुख्य रिटर्न भरना होगा और अपनी टैक्स की अदायगी करनी होगी। किसी भी माल या सेवा के ऊपर जो भी टैक्स चुकाना है, उसमें से खरीददारी पर लगा जो टैक्स भर दिया गया है उसकी पूरी इनपुट टैक्स क्रेडिट हर व्यापारी को ऑटोमेटिक मिलेगी। रिटर्न फाइल करने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। अगर आप अपने हिसाब-किताब जीएसटीएन द्वारा दी गई एक्सेल शीट में रखेंगे तो हर महीने वही हिसाब-किताब अपने आप ऑफलाइन टूल की मदद से रिटर्न में परिवर्तित हो जाएगा।
अगर कोई व्यापारी अपना पूरा सामान सिर्फ खुदरा ग्राहकों को बेचता है (बी-टू-सी) तो ऐसे व्यापारी का रिटर्न बहुत ही सरल होगा जिसमें रेट-वाइज टर्न ओवर दिखाना होगा। अगर कोई व्यापारी जो कम्पोजीशन स्कीम का लाभ उठाता है और जिनका टर्न-ओवर 50 लाख से कम है ऐसे व्यापारी द्वारा हर महीने में नहीं, परन्तु 3 माह में रिटर्न भरना होगा जिसमें अपना टोटल टर्न-ओवर में दिखाना होगा।
जो व्यापारी बिजनेस – टू- बिजनेस (बी-टू-बी) माल बेच रहे हैं उनको अपने बिक्री की हर इनवाइस की पूरी डिटेल रिटर्न में देनी होगी। हर व्यापारी जब अपनी सेल्स (बिक्री) की डिटेल महीने की 10 तारीख तक जीएसटी के वेबसाइट पर रिटर्न के फॉर्म में डाल देगा तो उसके द्वारा की गई खरीददारी की पूरी डिटेल अपने आप उसके खरीददारों को अपनी जीएसटीआर-2 (जीएसटी ऑनलाइन अकाउंट) में दिख जाएगी, यानी की ऑटो पाप्युलेट हो जाएगी। खरीदार व्यापारी द्वारा उसको देखकर, ठीक है तो उसको क्लिक करने से व्यापारी का पूरा रिटर्न कम्प्यूटर में ही उनके सामने आ जाएगा। जिसे स्वीकृत करने के लिए क्लिक करने से व्यापारी की टैक्स लायबिलिटी एवं इनपुट-टैक्स-क्रेडिट की पूरी डिटेल जीएसटी सिस्टम द्वारा स्वत: तैयार कर नेट टैक्स लायबिलिटी के साथ दिखाई जाएगी। टैक्स लायबिलिटी एवं इनपुट टैक्स क्रेडिट के बीच का अंतर, व्यापारी को भरना होगा। टैक्स ऑनलाइन या बैंक में जमा करनी होगी। उसके पश्चात व्यापारी को महीने की 20 तारीख तक कम्प्यूटर द्वारा तैयार किया गया अंतिम रिटर्न जीएसटीआर-3 को क्लिक करके सबमिट करना होगा।
इनपुट- टैक्स- क्रेडिट रिवर्सल
बिजनेस-टू- बिजनेस ट्रांजेक्शन में एक ऐसी व्यवस्था की गई है जिसको हम कहते हैं इनपुट- टैक्स- क्रेडिट रिवर्सल यानी की जो आप को इनपुट टैक्स- क्रेडिट मिली है उसको लौटाने का काम। इसके बारे में काफी लोगों ने चिंता जताई है, लेकिन अगर पूरी प्रक्रिया को आप समझेंगे तो इसका पूरा समर्थन करेंगे। जैसे मैंने आगे समझाया कि आपने जिससे माल खरीदा है उन्होंने वो ट्रांजेक्शन अपने रिटर्न में महीने की 10 तारीख तक दिखा दिया है तो आप को इनपुट- टैक्स- क्रेडिट मिल जाएगी। मान लो वो आपको माल बेचने वाला व्यक्ति उस इनवाइस को अपने रिटर्न में नहीं डालता है तो भी आप को एक मौका मिलेगा कि आप उसको अपने जीएसटीआर-2 रिटर्न में महीने की 15 तारीख तक दिखा दें और ऐसा करने से उस महीने में आप को आपके कहने पर पूरी इनपुट-टैक्स- क्रेडिट आपको मिल जाएगी। इसके बाद आपको उस व्यापारी से संपर्क करना है और उसको समझाना है कि वह उस ट्रांजेक्शन को अपने रिटर्न में दिखाए ताकि आप को जो इनपुट-टैक्स-क्रेडिट मिल गया है उसका रिवर्सल अगले महीने में नहीं करना पड़ेगा। आपको इसके लिए पूरे 30 दिन का समय मिलेगा और उसके बावजूद अगर आपको माल बेचने वाला व्यापारी इस ट्रांजेक्शन को स्वीकार नहीं करता है और अपने रिटर्न में नहीं दिखता है, तब अगले महीने आपकी टैक्स रिटर्न में ये इनपुट- टैक्स- क्रेडिट जो आपको मिल चुकी थी उसको रिवर्स किया जाएगा। हर व्यापारी का ये फर्ज है कि ऐसे ही व्यापारियों के साथ व्यवहार करे जो कि आप से टैक्स वसूल करने के बाद सरकार में इसको जमा करवाए। हर एक व्यापारियों के डिफाल्ट के आधार पर उनको एक कम्पलायंस रेटिंग भी दिया जाएगा जिसको अन्य सभी व्यापारी देख सकेंगे ताकि बार-बार डिफाल्ट करने वाले व्यापारी से व्यापार करने में आप सचेत रहें।