जीएसटी का असर फॉस्फेट आधारित उर्वरक के कच्चे माल पर कर ज्यादा
नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के 1 जुलाई से लागू होने के बाद इसका असर धीरे-धीरे दिखने लगा है। फॉस्फेट आधारित उर्वरक बनाने में काम आने वाले कच्चे माल पर नई कर व्यवस्था लागू होने से इसकी लागत बढ़ जाएगी। जबकि विदेशों से आयात सस्ता पड़ेगा। इससे आयात में तेजी आने की आशंका है। यह चिंता फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने व्यक्त की।
भारत सरकार ने 1 जुलाई से फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया और सल्फर पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रावधान किया है। ज्ञात हो कि इन पदार्थों का डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक बनाने में मुख्य तौर पर इस्तेमाल होता है। पांच प्रतिशत का यह कर घरेलू स्तर पर विनिर्मित और आयातित दोनों उर्वरकों पर लागू होता है।
फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक श्री सतीश चंदर कहते हैं कि कुछ मामलों में तो अंतिम उत्पाद से ज्यादा कर कच्चे माल पर ही लागू होता है। सरकारी नियमों के मुताबिक उर्वरक निर्माताओं को 60 दिनों के भीतर रिफंड मिलने को लेकर चिंताएं व्याप्त है। उन्होंने कहा कि इससे जहां आयातक और फायदे में होंगे वहीं घरेलू विनिर्माओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। उर्वरक उद्योग की वर्तमान 65 फीसदी उपयोग क्षमता में गिरावट आएगी।
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