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चुनावी वर्ष के मद्देनजर – आम बजट में खेती-किसानी पर ज्यादा ध्यान देगी सरकार

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(विशेष प्रतिनिधि)
नई दिल्ली/भोपाल। केंद्र सरकार गुजरात चुनाव से सबक लेते हुए वित्त वर्ष 2018-19 के आम बजट में कृषि और किसानों के साथ-साथ गांवों का ध्यान रख सकती है। जिससे अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव तथा इसके बाद लोकसभा के चुनावों में लाभ मिल सके।

केन्द्र सरकार द्वारा बजट 2018-19 की तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। गुजरात चुनाव की कड़ी टक्कर का कड़वा अनुभव बजट में दिखने के आसार हैं। किसानों की नाराजगी मुख्यत: फसल भाव एवं विपणन व्यवस्था तथा मिलने वाले ऋण को लेकर है इसमें सुधार के लिये सरकार किसानों पर ध्यान देने की योजना बना सकती है। गत वर्ष प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, स्वाईल हेल्थ कार्ड, ईनाम आदि बनाकर किसानों की बेहतरी के लिए कुछ करने के संकेत दिए थे, परंतु अगले बजट के लिये कोई विशेष योजना का नाम तो अब तक नहीं आया है परंतु हालात को देखते हुए तथा 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिये कुछ बड़े प्रावधान किए जा सकते हैं। इतना तो तय है कि फसल ऋण का लक्ष्य जरूर बढ़ेगा जिससे किसानों को राहत मिल सकेगी। चालू वित्त वर्ष में लगभग 10 लाख करोड़ का ऋण वितरित करने का लक्ष्य है इसे अगले वित्त वर्ष में बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि विगत वर्षों में लक्ष्य से अधिक ऋण वितरित किया गया है। वर्ष 2015-16 में 8.50 लाख करोड़ लक्ष्य के विरूद्ध 9.5 लाख करोड़ ऋण वितरित किया गया, इसी प्रकार 2016-17 में 9 लाख करोड़ के विरुद्ध 10.65 लाख करोड़ का ऋण बांटा गया। चालू वर्ष में 10 लाख करोड़ लक्ष्य के विरूद्ध लगभग 6 लाख करोड़ से अधिक का ऋण बंट गया है इसके 10 लाख करोड़ से पार जाने की संभावना है।
किसानों को बाजार से जोडऩे पर जोर
अगले बजट में सरकार कृषि उत्पादों को बाजार से जोडऩे, ग्रामीण क्षेत्रों में नाराजगी को दूर करने के लिए आजीविका मिशन को सुदृढ़ बनाने पर भी ध्यान दे सकती है।
चना, अरहर और तिलहन जैसी कई फसलों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे पहुंच गए हैं, ऐसे में बजट में विशेष कार्यक्रमों के जरिए कीमतों में स्थिरता लाने के लिये राज्यों को सीधे तौर पर धन का आवंटन किया जा सकता है। इससे किसानों को मजबूरी में कम दाम पर अपनी उपज बेचने की समस्या से तत्काल बचाने में मदद मिल सकती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बजट में बाजार लिंकेज योजना पर भी ध्यान दिया जा सकता है, जिसमें बुनियादी ढांचे में सुधार और कृषक उत्पादक कंपनियों द्वारा खरीद को बल मिल सकता है।
ग्रामीण विकास
ग्रामीण विकास के लिये मध्यावधि व्यय का ढांचा तैयार किया गया है, जिस पर 2018-19 में 1.12 लाख करोड़ रुपये का व्यय किया जाएगा जबकि चालू वित्त वर्ष में इसके लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये तय किए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि अगले साल के बजट के लिये शुरूआती बजट पर जो चर्चा की गई थी वास्तविक रकम मध्यावधि व्यय का ढांचे के अनुमान से ज्यादा हो सकती है। 2018-19 में इसके लिए पिछले साल के बजट अनुमान से 9 फीसदी ज्यादा का आवंटन किया जा सकता है। म.प्र. के प्रगतिशील कृषक श्री मिश्रीलाल, श्री भगवानसिंह एवं श्री बाघमल मीना ने कहा कि बजट 2018-19 में खेती किसानी को मजबूत करना चाहिये। किसानों के लिए कर्मचारियों के समान पेंशन योजना लागू करना चाहिए जिससे वृद्धावस्था में सहारा मिल सके। फसलों का लाभकारी मूल्य तय होना चाहिए साथ ही किसान पर यदि कर्ज है तो उसका जीवन बीमा होना चाहिए ताकि आकस्मिक मृत्यु पर बच्चों को कर्ज न चुकाना पड़े, बीमा कंपनी ही पूरी भरपाई कर दें।

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