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संकट की घड़ी में सरकार किसान के साथ

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(विशेष प्रतिनिधि)
होशंगाबाद। कम वर्षा के कारण आगामी रबी फसल पर संकट के बादल मण्डरा रहे हैं, लेकिन होशंगाबाद जिले का किसान इसका सामना करने में सक्षम है। वर्तमान में बांधों में पानी की उपलब्धता कम होने के कारण आगामी रबी सीजन में पर्याप्त पानी सिंचाई के लिए नहीं मिल पाएगा, ऐसी स्थिति में हमें कम सिंचाई वाली फसल जैसे- चना, मसूर, मटर, अलसी एवं गेहूं की कम पानी चाहने वाली किस्मों का चयन करना होगा। यह बात कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण केन्द्र पवारखेड़ा में एक दिवसीय कृषक संगोष्ठी में मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा ने कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला पंचायत अध्यक्ष कुशल पटेल ने कहा कि परिस्थितियां हमारे विपरीत हैं लेकिन हमें संयम से काम लेने की जरूरत है। संगोष्ठी के दौरान किसानों को फसल चक्र भावांतर योजना, कृषि, पशुपालन, मछली पालन सहित अन्य सभी योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में मण्डी अध्यक्ष सर्वश्री जानकी मीणा, पियूष शर्मा, कलेक्टर अविनाश लावनिया, उपसंचालक कृषि जितेन्द्र सिंह, परियोजना संचालक आत्मा एम.एल. दिलवारिया, कृषि कालेज डीन डॉ. डी.के. पहलवान, प्राचार्य कृ.वि.प्र. केन्द्र आर.सी. माहोर, कृषि अनुसंधान केन्द्र के डॉ. पी.सी. मिश्रा, वैज्ञानिक डॉ. संजीव वर्मा सहित कृषि वैज्ञानिक कृषि विभाग के अधिकारी,कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।

लम्बी जड़ वाली फसलें बोये
कम वर्षा की स्थिति में किसानों को मौसम के अनुरूप खेती करना चाहिए। ऐसी स्थिति में चना, मसूर, अलसी, सरसों जैसी फसलों को प्राथमिकता देना चाहिए। इनकी जड़े गहराई तक जाती हैं।
डॉ. डी.के. पहलवान
डीन, कृषि महावि., पवारखेड़ा
गेहूं की कम सिंचाई वाली किस्में
अनुसंधान केन्द्र होशंगाबाद में गेहूं की 52 किस्मों का विकास किया है। कम पानी में अच्छा उत्पादन देने वाली किस्में डी.डब्ल्यू. 3211, एचआई-1544, एम.पी. 1201, एम.पी. 1202 एवं एम.पी. 1203 हैं।
डॉ. पी.सी. मिश्रा
वरि. कृषि वैज्ञानिक, पवारखेड़ा
पर्याप्त मात्रा में
है बीज
कम वर्षा के कारण गेहूं की बोनी का क्षेत्र घटना एवं चना, मसूर का रकबा बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। किसानों को वितरण के लिए 35 हजार क्विं. चना उपलब्ध है, जिसका जल्दी ही सहकारी समितियों के माध्यम से वितरण किया जाएगा।
जितेन्द्र सिंह,
उपसंचालक कृषि, होशंगाबाद
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