अच्छी वर्षा का पूर्वानुमान एक सुखद समाचार
किसानों के लिए खरीफ 2017 में भी सामान्य वर्षा का पूर्वानुमान एक सुखद समाचार है। वर्ष 2014 तथा 2015 में कमजोर मानसून के बाद वर्ष 2016 में भले ही मानसून में 8-10 दिन की देरी हुई परंतु बाद में सामान्य व सामान्य से अच्छी वर्षा हुई, जिस कारण खरीफ फसलों का उत्पादन 1380.4 लाख टन तक पहुंच गया जो वर्ष 2014 व 2015 में क्रमश: 1280.6 व 1250.9 लाख टन था। इसके पूर्व यह खरीफ 2011 में सबसे अधिक 1312.7 लाख टन तक खरीफ फसलों का उत्पादन हुआ था। इस वर्ष भी मानसून के सामान्य होने का अनुमान है। पिछले वर्ष देर से आने के कारण खरीफ फसलों की बुआई देर से हुई और किसानों में बुआई के प्रति एक भ्रम की स्थिति थी। देर से बुआई के बाद भी अच्छी व संतुलित वर्षा के कारण किसानों ने खरीफ फसलों का रिकार्ड उत्पादन किया और इसका फायदा रबी फसलों को भी मिला। इस वर्ष इसके समय से आने के आसार हैं। 18 अप्रैल 2017 में लगाये गये अनुमान अनुसार 50 वर्षों के वर्षा के औसत 89 से.मी. (35.6 इंच) की तुलना में इस वर्ष 96 प्रतिशत (85.4 से.मी.) वर्षा होने का अनुमान लगाया गया था। अप्रैल से एक माह के अंदर ही मानसून की गतिविधियों में सकारात्मक अंतर देखा गया है जिससे और अच्छी वर्षा का अनुमान है।
वर्ष 2014 व 15 में कम वर्षा के लिये अलनीनो का प्रभाव उत्तरदायी था। अलनीनो प्रशांत महासागर के भूमध्यीय क्षेत्र की एक समुद्री घटना का नाम है जो दक्षिण अमेरिका तट पर समुद्री जल की सतह के तापक्रम के अधिक हो जाने के कारण होती है। इसका प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप की मानसून प्रक्रिया पर भी पड़ता है। इस वर्ष अलनीनों का प्रभाव जुताई के बाद पडऩे की संभावना है इस कारण जून व जुलाई मध्य तक सामान्य वर्षा होने की संभावना है। इसके बाद अगस्त में वर्षा में कुछ व्यावधान आने की संभावना है।
मध्यप्रदेश में मानसून के जून मध्य में पहुंचने की संभावना है। खरीफ फसलों की बुआई जो पिछले वर्ष पिछड़ गयी है इस वर्ष किसान बोनी समय से कर सकेंगे। किसान भाईयों को चाहिए कि वह भारत सरकार के मौसम विभाग द्वारा दी जाने वाली सूचनाओं से अवगत रहे और इन सूचनाओं के अनुसार अपने कृषि कार्यों का प्रबंधन करे। अच्छी वर्षा की संभावना का लाभ उठाकर खरीफ 2017 में फसल उत्पादन के नये आयाम स्थापित करें।