लहसुन हार्वेस्टर
लहसुन भारत में उगाए जाने वाली एक महत्वपूर्ण बल्ब फसल है। इसका रसोई में तथा चिकित्सा लाभ के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। भारत के कई हिस्सों में लहसुन की बुआई नवंबर एवं दिसंबर माह में होती है। इसकी खेती के लिए उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश का मौसम बहुत ही उपयुक्त माना जाता है। लहसुन की कटाई अप्रैल-मई महीने में की जाती है।
मजदूरों की उपलब्धता न होने के कारण एवं संसाधनों के अभाव में लहसुन की खेती बड़े पैमाने पर नहीं की जा रही है। कई तकनीक उपलब्ध है परन्तु किसानों को उनकी जानकारी न होना भी इसका एक प्रमुख कारण है। लहसुन को प्राय: किसानों द्वारा मिट्टी को खोदकर या इसके तने को हाथों से खींचकर निकाला जाता है। इस कार्य में बहुत समय लगता है। इसके लिए प्रति हेक्टर लगभग 30-35 मजदूरों की आवश्यकता होती है। कई जगह पर किसानों द्वारा बख्खर या कल्टीवेटर द्वारा खोदकर भी लहसुन को निकाला जाता है। इससे नुकसान अधिक होता है एवं लहसुन को इकट्ठा करने में मजदूर लागत भी आती है। ट्रैक्टर चलित लहसुन खोदने वाले यन्त्र से यह काम बड़ी आसानी से किया जा सकता है। इस मशीन में एक 1.5 मीटर चौड़ी ब्लेड लगी होती है जो मिट्टी को खोदने का काम करती है। इसके बाद लहसुन को चैन टाइप की पृथक्करण जाली से गुजरा जाता है। पृथक्करण जाली में लोहे की छड़े समान दूरी पर लगी होती है। मशीन के संचालन के दौरान पृथक्करण जाली से पौधों में लगी मिट्टी अलग हो जाती है। इस जाली के पिछले हिस्से से लहसुन गिरकर एक पंक्ति में जमा हो जाती है। इसके बाद लहसुन की गांठों को 3-4 दिनों तक खेत में सुखाया जाता है। इस मशीन को ट्रैक्टर के पीटीओ द्वारा संचालित किया जाता है। मशीन की कार्य क्षमता 0.25 से 0.30 हेक्टेयर प्रति घंटा है। इसकी परिचालन लागत 3000-3500 रुपये प्रति हेक्टेयर है। काली मिट्टी में यह मशीन चलाने के लिए थोड़ी नमी होना आवश्यक है। लाल मिट्टी में इसे बड़ी सुगमता से चलाया जा सकता है।
- डॉ. दिलीप जाट
- डॉ.एन. एस. चंदेल
- इंजी. सैयद इमरान
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