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जीएसटी से महंगी होगी खेती

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(विशेष प्रतिनिधि)
भोपाल। केंद्र सरकार की घोषणा के अनुसार 30 जून को अर्धरात्रि में संसद के केन्द्रीय हाल में देश में नई कर प्रणाली जीएसटी के लागू होने की घोषणा की जायेगी। 70 वर्ष पूर्व इसी तरह देश आजाद होने की घोषणा की गई थी। लेकिन किसान की हालत आज भी वैसी है और अब पुरानी कर प्रणाली से मुक्ति की घोषणा से भी किसान की हालत में सुधार की संभावना कम ही है। इसके उलट नई कर प्रणाली जीएसटी से खेती की लागत बढऩे की संभावना ही अधिक दिखाई दे रही है। सभी कृषि आदानों उर्वरक, कीटनाशक, कृषि यंत्रों आदि पर टैक्स बढ़ाया ही गया है। उर्वरक पर जहां पहले 5 प्रतिशत टैक्स था, उस पर अब 12 प्रतिशत टैक्स अधिरोपित किया गया है इसी तरह कीटनाशक पर 5 प्रतिशत की जगह 18 प्रतिशत, ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्रों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है। उर्वरक उद्योग ऊंची जीएसटी दर व घटती सब्सिडी से आक्रांत है तो ट्रैक्टर उद्योग इनपुट टैक्स और आऊटपुट टैक्स में भारी अंतर के चलते परेशान है। जबकि केन्द्रीय कृषि मंत्री के अनुसार कृषि उत्पादों के लिये टैक्स स्लैब में कोई वृद्धि नहीं हुई है लेकिन शायद वे यह भूल जाते हैं कि उत्पाद से पहले उत्पादन के लिये आवश्यक इनपुट में तो भारी वृद्धि हुई है जिसका सीधा असर कृषि और किसान पर पड़ेगा। पहले ही किसान कृषि उत्पादन के कम भाव व अधिक लागत से जूझ रहा है और अब जीएसटी उसका लागत और बढ़ा देगी।

खरीद पर असर
जीएसटी लागू होने के साथ खरीफ फसलों की बुआई भी जोर पकड़ लेगी। लेकिन उर्वरक, कीटनाशक, कृषि यंत्र सभी जीएसटी के दायरे में आने के कारण उपलब्धता पर असर आ सकता है। नये कर आने में बाजार को ढलने में समय लगेगा। जिसका असर खरीफ फसलों पर पडऩा निश्चित है।

 

यह है अंतर
जीएसटी में अब पहले (वैट)
खाद 12% 0-0.8%
कीटनाशक 18% 12-4.5%
ट्रैक्टर आदि 12% 0-4.5%
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