किसान भाई संगठित होकर व्यवस्था सुधारें : श्री शर्मा
भोपाल। 3 वर्ष में 155 करोड़ का टर्न ओवर कर किसानों की आकांक्षा को पूरा करने के लिए बनी ऐसी संस्था नायाब है। अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जुड़कर संगठित होकर व्यवस्था को सुधारा जा सकता है। ये विचार मध्य भारत कंसोर्टियम की वार्षिक आम सभा में विशेषज्ञ संचालक मंडल मुख्य सलाहकार श्री प्रवेश शर्मा (आईएएस) ने व्यक्त किये।
आमसभा में संचालक मंडल के सदस्य सहित कृषि मंडी, बीज प्रमाणीकरण, बैंक, एलआईसी सहित प्रोड्यूसर कंपनी से जुड़े प्रतिनिधि एवं संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री योगेश द्विवेदी, विशेषज्ञ बीज श्री एस.एस. भटनागर, श्री दिनेश यादव संचालक मंडल अध्यक्ष, श्री आशीष मंडल, कृषि विभाग के उपसंचालक द्वय श्री पी.एस. किरार, श्री आर.एस. गुप्ता, श्री आर.पी.एस. नायक, श्री जे.एन. सूर्यवंशी, एल.आई.सी. के श्री जे.सी. राय, बीज प्रमाणीकरण संस्था के श्री ओ.पी. शर्मा उपस्थित थे।
उपलब्धि- 3 वर्ष में 76 ्अंशधारी कुल किसान उत्पादन कंपनियां व 54 सहकारी समितियां, दो लाख से अधिक किसानों तक पहुंच। 153 करोड़ 66 लाख का व्यवसाय भविष्य में 10 लाख किसानों तक पहुंच का लक्ष्य है। म.प्र. के 43 जिलों में नेटवर्क। उपलब्धि के सूत्रधार श्री योगेश द्विवेदी मुख्य कार्यकारी अधिकारी। इनके अथक प्रयासों से मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ फारमर्स प्रोड्यूसर कंपनी इस मुकाम तक पहुंची।
मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव रहे श्री प्रवेश शर्मा ने किसानों की बदहाली पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि ये दुर्भाग्य है कि देश की आजादी के 70 वर्षों के बाद भी किसानों पर गोली चलाई जा रही है। |
संगठन द्वारा व्यवसाय हेतु प्रमुख दलहनी फसलें अरहर, उड़द, मूंग, चना आदि, अनाज गेहूं (म.प्र. शरबती, विदिशा एवं सीहोर प्रीमियम गुणवत्ता वाले) एवं कठिया गेहूं जैविक एवं बासमती धान, कपास, रामतिल, सोयाबीन, सब्जियों में आलू, प्याज, मटर पर गतिविधियां केन्द्रित की जाएंगी।
संगठन का आकार
मध्य भारत कंसोर्टियम आफ फारमर्स प्रोड्यूसर कंपनी प्रदेश के लघु एवं सीमांत किसान उत्पादन संगठनों का राज्यस्तरीय संगठन है जिसकी 2014 में स्थापना की गई। लघु कृषक कृषि व्यापार संघ नई दिल्ली, म.प्र. कृषि विभाग, आजीविका मिशन, ग्रामीण विकास म.प्र., आसा एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं का सहयोग है।
कठिनाई
उत्पादन कंपनियों में दक्ष एवं अनुभवी मानव संसाधन की कमी, व्यवसाय हेतु पूंजी एवं संग्रहण तथा प्रसंस्करण हेतु आवश्यक अधोसंरचनाओं का अभाव, सही ब्याज दर पर ऋण व्यवस्था का अभाव, वर्तमान ुपलब्ध ऋण मंहगे, संबंधित शासकीय विभाग जिनमें बीज प्रमाणीकरण संस्था सेसीड सर्टिफिकेट लेने एवं मंडी से अनुज्ञा लेने में सहयोग का अभाव, विभागों व किसान उत्पादक कंपनियों में तालमेल की कमी।