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सामान्य मानसून से रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद

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खरीफ में 14 करोड़ टन से अधिक उत्पादन का अनुमान

नई दिल्ली। केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने गत दिनों कहा कि 2018 में मानसून सामान्य रहने के अनुमान लगाए जा रहे हैं, जिसे देखते हुए कृषि मंत्रालय ने 2018-19 में उत्पादन मेंं 2.23 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है। इससे उत्पादन बढ़कर 28.37 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। इसमें से करीब 14.1 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य 2018 के खरीफ सत्र के लिए रखा गया है, जबकि 2017 में वास्तविक उत्पादन 13.84 करोड़ टन रहा था। वहीं 2018-19 के रबी सत्र मेंं 14.25 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जबकि इस साल वास्तविक उत्पादन 13.90 करोड़ टन रहा है।

श्री सिंह ने दो दिवसीय खरीफ सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, इस सरकार के पहले 2 साल के कार्यकाल में 2014 और 2015 में लगातार पड़े सूखे की वजह से चुनौतियां रहीं। हम सही दिशा में काम कर इस समस्या से निपटने में सफल रहे और कृषि को नई दिशा मिली।

मौजूदा गेहूं खरीद सीजन में किसानो को क्या रेट मिलने की उम्मीद करनी चाहिए ?

उन्होंने कहा कि किसानों की स्थिति में सुधार और उनका उत्पादन लागत कम करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिसके परिणाम मार्च 2018 और उसके बाद से नजर आने लगे हैं। श्री सिंह ने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा को सतत आधार पर सुनिश्चित करने का श्रेय किसानों को ही जाता है। आज भारत न केवल बहुत से कृषि उत्पादों में आत्मनिर्भर और आत्म सम्पन्न है बल्कि बहुत से कृषि उत्पादों का निर्यातक भी है। यह भी सच है कि किसान अपने उत्पादों का लाभकारी मूल्य नहीं पाते हैं। अत: सरकार का मानना है कि कृषि क्षेत्र का इस प्रकार चहुंमुखी विकास किया जाए कि अन्य एवं कृषि उत्पादों के भंडार के साथ किसानों की जेब भी भरे और उनकी आय भी बढ़े।

आय दोगुनी करने के पीएम के 7 सूत्र

  • ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के सिद्धांत पर प्रर्याप्त संसाधनों के साथ सिंचाई पर विशेष बल
  • ‘प्रत्येक खेत की मिट्टी गुणवत्ता के अनुसार बीज एवं पोषक तत्वों का प्रावधान
  • कटाई के बाद फसल नुकसान को रोकने के लिए गोदामों और कोल्ड चेन में बड़ा निवेश
  • खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन
  • राष्ट्रीय कृषि बाजार का क्रियान्वयन, ई-प्लेटफॉर्म की शुरुआत
  • जोखिम कम करने के लिए कम कीमत पर फसल बीमा योजना
  • डेयरी-पशुपालन, मुर्गी-पालन, मधुमक्खी-पालन, हर मेढ़ पर पेड़, बागवानी व मछली पालन जैसी सहायक गतिविधियों को बढ़ावा
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