खेत में घर बनाने पर किसान के लिये डायवर्सन जरूरी नहीं
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसानों के बेटे-बेटियों को खाद्य प्र-संस्करण इकाइयाँ खोलने के लिये 10 लाख से 2 करोड़ तक का लोन उपलब्ध करवाया जायेगा। लोन की गारंटी राज्य सरकार लेगी। खाद्य प्र-संस्करण इकाइयाँ खुलने से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसानों के बेटे-बेटियों को खाद्य प्र-संस्करण इकाइयाँ खोलने के लिये 10 लाख से 2 करोड़ तक का लोन उपलब्ध करवाया जायेगा। लोन की गारंटी राज्य सरकार लेगी। खाद्य प्र-संस्करण इकाइयाँ खुलने से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर वर्कशॉप और विकासखण्डीय कृषि संगोष्ठियों की श्रृंखला के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यदि किसान अपने खेत पर स्वयं के उपयोग के लिये घर बनाता है तो उसे जमीन के डायवर्सन की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने इस अवसर पर मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के पोर्टल का शुभारंभ किया और इसे प्रदेश के लिये कृषि में नई क्रांति बताया। उन्होंने किसानों से इस पोर्टल पर जाकर अपना पंजीयन कराने का आग्रह किया।किसान सम्मेलनमुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि 15 अक्टूबर तक सभी जिलों में किसान सम्मेलन होंगे। इनमें किसानों की आय दोगुना करने की रणनीति पर चर्चा होगी। हर विकासखण्ड का अलग से रोडमैप बनेगा। कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिक, कृषक मित्र, कृषक दीदी, प्रगतिशील किसान और कृषि विभाग के मैदानी अमले ने भाग लिया। कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन, कृषक आयोग के अध्यक्ष श्री ईश्वरलाल पाटीदार, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री पी.सी. मीणा, प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री अशोक बर्णवाल, संचालक कृषि श्री मोहनलाल सहित कई कृषि वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे।
प्रशिक्षण कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव भोपाल में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में कम वर्षा की स्थिति को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को उपयोगी जानकारी दी। कृषि वैज्ञानिक श्री एम.डी. व्यास ने खेत की तैयारी के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि बोनी के लिए जीरो टिलेज का प्रयोग उपयोगी होगा। उन्होंने बताया कि फसल जल्दी काटकर रबी के लिए खेत तैयार करें। दलहनी फसलें अधिक लगाएं तथा हाइड्रोजिल नामक रसायन का प्रयोग कर खेत की नमी संरक्षित करें। उन्होंने बताया कि इसे खाद के साथ मिलकर डालना चाहिए। भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अरविन्द शुक्ला ने म.प्र. की स्वाईल मैपिंग विषय पर किसानों को जानकारी दी। उन्होंने पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के बारे में बताया। कृ. विज्ञान केन्द्र पवारखेड़ा के वैज्ञानिक डॉ. पी.सी. मिश्रा ने गेहूं की किस्मों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब तक पवारखेड़ा केन्द्र ने 52 गेहूं की किस्में विकसित की हैं। उन्होंने बताया कि एक पानी वाली – जे.डब्ल्यू. 3020, जे.डब्ल्यू. 173 एवं जे.डब्ल्यू 3173, दो पानी वाली- जे.डब्ल्यू. 1142, 2101, 1202, 3288, 3211 एवं एच.आई. 1531 तथा तीन सिंचाई वाली- जे.डब्ल्यू. 1201, 1203, 3382 एवं एच.आई. 1501 किस्म किसान लगा सकते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि एम.पी. 4106 दिसम्बर तक बोई जा सकती है। उन्होंने कहा कि गेहूं में एक सिंचाई फसल बोने के 35 से 40 दिन में दिया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. पहलवान ने दलहनी फसलों के सम्बन्ध में बताया। उन्होंने कहा कि अंतरवर्तीय खेती करना लाभप्रद है। चने के भाजी का अधिक प्रयोग करना चाहिए इससे खेत में लगे चने फसल को लाभ होता है। इल्ली कम लगती है, अण्डे देने की जगह नहीं मिलती, साथ ही शाखाएं फैलती हैं जिससे उत्पादन बढ़ता है। नरसिंहपुर के वैज्ञानिक डॉ. एस.आर. शर्मा ने उकठा रोग पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उकठा चार प्रकार का होता है इसकी रोकथाम के लिए ट्राईकोडर्मा का प्रयोग करना चाहिए। |