सिंघाड़ा की फसल बनी लाभ की खेती
जबलपुर। जिले के ग्राम पुरैना तहसील पनागर के कृषक श्री प्रकाश बर्मन पिता श्री गणेश बर्मन अपने दो बेटों के साथ में सिंघाड़ा की खेती करते हैं। सिंघाड़ा की फसल निकल जाने के बाद तीनों ही मजदूरी करके घर चलाते हैं। वे अपने गांव के लगभग सात एकड़ के तालाब पर सिंघाड़ा की खेती करते हैं जिसमें बीज (रोपणी) स्वयं बनाते हैं एवं आवश्कता पडऩे पर रोपणी अन्य तालाबों से खरीदते हैं।
श्री बर्मन ने बताया कि रिलायंस फाउंडेशन के संपर्क में आने के बाद मुझे सिंघाड़ा की फसल से जुड़ा हुआ तकनीकी ज्ञान मिला। नि:शुल्क हेल्प लाइन न. 180041988000 पर बात करने पर भी सलाह मिली। वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा भी वैज्ञानिकों से संपर्क हुआ। रिलायंस फाउंडेशन के कार्यकर्ता श्री अनिल रैदास भी बीच-बीच में मिलने आते थे। रिलायंस फांउडेशन के माध्यम से जो सलाह मुझे दी गई थी उसको अपनाने से पूरी फसल में ज्यादा मात्रा में कीटों प्रकोप नहीं रहा।
उनके द्वारा बताई गई दवा का प्रयोग करने से फलों का आकार एवं वजन अन्य तालाबों के सिंघाड़ा फल की अपेक्षा कहीं ज्यादा वजनी एवं बड़ा था। सिंघाड़ा फल के आकार एवं वजन में वृद्धि होने से बाजार में इसका मूल्य ज्यादा मिला। कुल लागत राशि में सम्पूर्ण सात एकड़ तालाब के लिए बीज की खरीदी, खाद एवं रसायनिक दवाओं का खर्च, बाढ़वर्धक की खरीदी फसल की तुड़ाई, तालाब की ठेका राशि, मजदूरी, एवं अन्य खर्चे शामिल हैं।