Uncategorized

सोयाबीन उत्पादन में कमी की संभावना – 50 लाख हेक्टेयर में हुई बोनी

Share

जानकारी के मुताबिक वर्षा की कमी एवं बादलों के छाये रहने के कारण सोयाबीन पर इल्लियों का हमला तथा पीला मोजेक रोग का प्रकोप बढ़ा है। जबकि सोयाबीन फूल आने की स्थिति में है। इस कारण उत्पादन प्रभावित होने की संभावना बढ़ गई है।
इधर देश में भी इस वर्ष सोयाबीन का रकबा घटा है। लगभग 102 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई है। जबकि गत वर्ष 109.71 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई थी तथा उत्पादन 114.90 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया था।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के प्रारंभिक सर्वे के मुताबिक सोयाबीन उत्पादक राज्यों में मुख्यत: महाराष्ट्र में 37.94 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 9.22 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 2.54 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 1.31 लाख हे. एवं गुजरात में 1.24 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई है। सोया राज्य म.प्र. में इस वर्ष सोयाबीन में पिछड़े किसानों ने दलहनी फसलों की अधिक रकबे में बोनी की है। उड़द के रकबे में लक्ष्य की तुलना में लगभग 6 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। इस वर्ष 12 लाख हेक्टेयर के विरूद्ध 17.89 लाख हेक्टेयर में उड़द बोई गई है।

भोपाल। प्रदेश में अब तक 25 फीसदी कम बारिश होने के कारण सोयाबीन सहित अन्य खरीफ फसलों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। इस वर्ष सोयाबीन की बुवाई लगभग 50 लाख हेक्टेयर में की गई है जो निर्धारित लक्ष्य से लगभग 3 लाख हेक्टेयर कम है। राज्य में सोयाबीन का सामान्य रकबा 58.59 लाख हेक्टेयर है। गत वर्ष 54 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई थी तथा उत्पादन लगभग 70 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया था परंतु इस वर्ष कम क्षेत्र में सोयाबीन बोई गई है। इसका मुख्य कारण जुलाई के प्रथम सप्ताह तक पर्याप्त मानसूनी वर्षा का न होना है। जिससे उत्पादन में कमी आने की संभावना है।

मक्के में लगने वाले प्रमुख कीट तथा नियंत्रण के उपाय

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *