चना, मसूर और सरसों की एमएसपी पर होगी खरीदी
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिये 11,400 करोड़
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में विभिन्न विभागों के महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। बैठक में अधिक उत्पादन एवं बाजार भाव समर्थन मूल्य से कम होने के कारण कृषकों को उनके फेयर एवरेज क्वालिटी की उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विक्रय करने के लिये राज्य शासन ने भारत सरकार की प्राईस सपोर्ट स्कीम में शासकीय संस्थाओं के माध्यम से वर्ष 2017-18 (मार्केटिंग सीजन 2018-19) में चना, मसूर और सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का निर्णय लिया ।
इसके लिये प्रदेश में 12 फरवरी से 31 मार्च 2018 तक कृषकों का पंजीयन किया गया है। पंजीकृत किसानों से पात्रता अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना, मसूर एवं सरसों की खरीदी का कार्य 10 अप्रैल से 9 जून 2018 तक किया जायेगा।
मंत्रि-परिषद ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 के लिये केन्द्रांश 5700 करोड़ और राज्यांश 5700 करोड़ कुल 11 हजार 400 करोड़ की राशि निरंतर रखने का निर्णय लिया।
पट्टा नवीनीकरण की नई व्यवस्था लागू होगी राज्य सरकार द्वारा स्थाई पट्टों के नवीनीकरण तथा शर्त उल्लघंन के प्रकरणों के निराकरण की प्रक्रिया के संबंध में जारी निर्देशों को मंत्रि-परिषद ने अनुमोदन किया। शासन का मानना है कि पट्टों का नवीनीकरण नहीं हो पाने तथा पट्टों की शर्तों के उल्लघंन के परिणामस्वरूप भू-भाटक के रूप में शासन को होने वाली निरंतर आय अवरूद्ध हो रही है। साथ ही जो पट्टेदार अपने पट्टे के भू-खण्ड को विक्रय, दान या अंतरित करना चाहते हैं वे अंतरण भी नहीं कर पा रहे हैं। इस स्थिति के समाधान के लिये राजस्व विभाग ने नई व्यवस्था की है। |
राजस्व विभाग
मंत्रि-परिषद ने सहरिया, बैगा एवं भारिया विशेष आदिम जनजातियों के उम्मीदवारों को पटवारी पद पर सीधी भरती के लिये विशेष प्रावधान करने का निर्णय लिया। इनके लिये पटवारी के 143 अतिरिक्त पद सृजित किये जाएंगे। मंत्रि-परिषद ने जिला मुरैना में तहसील बामौर का सृजन कर नई तहसील के लिये 16 पदों के सृजन की मंजूरी दी।
सूक्ष्म एवं लघु उद्योग
मंत्रि-परिषद ने मुख्यमंत्री कृषक उद्यमी योजना में संशोधन करने का निर्णय लिया। इसमें परियोजना लागत 50 हजार से 2 करोड़ रूपये तक होगी। आयु पात्रता में 18 से 45 वर्ष करने का निर्णय लिया गया है। पात्र परियोजनाओं में उद्योग (विनिर्माण), सेवा एवं व्यवसाय से संबंधित सभी प्रकार की परियोजनाएँ, कृषि आधारित परियोजनाएँ- एग्रो प्रोसेसिंग, फूड प्रोसेसिंग, कोल्ड स्टोरेज, मिल्क प्रोसेसिंग, केटल फीड, पोल्ट्री फीड, फिश फीड, कस्टम हायरिंग सेन्टर, वेजीटेबल डीहाईड्रेशन, टिश्यू कल्चर, केटल फीड, दाल मिल, राईस मिल, आईल मिल, फ्लोर मिल,बेकरी, मसाला निर्माण, सीड ग्रेडिंग/शॉर्टिंग और अन्य कृषि आधारित/ अनुशांगिक परियोजनाओं को प्राथमिकता है।
इस योजना का क्रियान्वयन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, नगरीय विकास एवं आवास विभाग, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग, जनजातीय कार्य विभाग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्प संख्यक कल्याण विभाग, विमुक्त घुमक्कड़, एवं अद्र्धघुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभाग, कृषि विभाग, उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण विभाग, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य पालन विभाग और पशुपालन विभाग द्वारा किया जायेगा।
प्रति हेक्टेयर उत्पादकता सीमा तय किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने चना, मसूर और सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिये प्रति हेक्टेयर उत्पादकता की सीमा का निर्धारण किया है। कृषक हित में जिलों से प्राप्त औसत उत्पादकता आंकड़ों के अनुसार चना फसल के लिये रायसेन और विदिशा जिलों के लिये 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, सीहोर जिले के लिये 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा छिन्दवाड़ा एवं नरसिंहपुर जिले के लिये 19 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादकता निर्धारित की गई है। इन पाँच जिलों को छोड़कर शेष 46 जिलों में चने की उत्पादकता 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मान्य की गई है। सरसों की उत्पादकता 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और मसूर की उत्पादकता 11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रदेश के सभी 51 जिलों के लिये मान्य की गई है। |