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मुर्गियों की सर्दियों में देखभाल

  • शीतऋतु के आगमन से पहले मुर्गियों के बाड़े की मरम्मत करवायें. खिड़कियाँ तथा दरवाजे ठीक-ठाक हालत में होने चाहिए. यूं तो मुर्गीफार्म पर मुर्गियों के बाड़ों की बगलों पर डालियां लगी होती हैं. जहां से शाम तथा रात्रि में ठंडी बर्फीली हवाओं से बाड़े के भीतर का तापक्रम गिरता हैं.
  • मुर्गियों से सर्वाधिक उत्पादन लेने हेतु 44 डिग्री से 75 डिग्री फॅरनहीट (13 से 24 डिग्री सेंटीग्रेड) तापक्रम आवश्यक होता हैं. अर्थात् उत्तर भारत में शीतऋतु में जब वातावरण का तापक्रम 13 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे चला जाता हैं तब अंडा उत्पादन पर विपरीत असर पड़ सकता हैं. ऐसी स्थिति में बचाव हेतु बाड़े की बगलों पर मोटे टाट (बारदान) से बने पर्दे इस तरह लगवायें ताकि ठंडी हवाओं के झोकों से मुर्गियों को बचाया जा सके.
  • पर्दों की निचली जगह पर बाँस बांध दें ताकि वे तेज हवाओं से ना उड़े और मुर्गियों को ठंडी हवाएं ना लगें.
  • इसके अलावा अंडा उत्पादन बरकरार रखने हेतु तथा मुर्गियों को ठंड से बचाने हेतु बाड़े में बिजली के बल्ब (लट्टू) लगाना जरूरी हैं. यह उजाला उन्हें दिन का प्रकाश का समय मिलाकर 16 घंटों तक मिलना जरूरी हैं तभी वे दाना अच्छी तरह चुगकर अंडा देती रहती हैं. 200 वर्गफीट जगह में कृत्रिम प्रकाश प्रदान करने हेतु 400 वॉट क्षमता के बिजली के बल्ब लगाना जरूरी हैं. इसके लिए 200 वर्गफीट जगह में 100 वॉट क्षमता के चार बिजली के बल्ब लगाने से काम बन जायेगा। अंधेरे में मुर्गियां दाना नहीं चुगती हैं और इससे अंडा उत्पादन में कमी आ जाती हैं.
  • शीतऋतु में मुर्गियों को ज्यादा ठंडा जल ना पिलाये बल्कि गुनगुना पानी देना बेहतर होगा.
  • शीतऋतु में मुर्गियों की भूख बढ़ जाती है अत: उनके दोने (फीड ट्रफ) हमेशा दाने (मॅश) से भरे होने चाहिए। साधारणत: एक संकर मुर्गी को रोजाना 110 से 140 ग्राम दाना जरूरी होता हैं। पर्याप्त मात्रा में दाना ना मिलने पर अंडों की तादाद तथा वजन में गिरावट आती हैं. अत: उनके पोषण पर समुचित ध्यान दें.
  • डीप लीटर पद्धति में रखी मुर्गियों के बाड़े में जो भूसा (लिटर) जमीन पर बिछा होता है वह सूखा होना चाहिए। उस पर पानी रिस जाये तो तुरन्त गीला बिछावन (लिटर) हटाकर वहां सूखा बिछावन डाल दें अन्यथा: मुर्गियों को ठंड लग सकती है.
  • मुर्गियों का रोजाना निरीक्षण करें. सुस्त मुर्गियों की पशुओं के डाक्टर द्वारा जांच करवाकर दवा दें.
  • मुर्गीघर में साफ-सफाई का ध्यान रखें.
  • रोजाना सबेरे सूरज निकलने के बाद ही टाट (बारदान) के पर्दे ऊपर लपेटकर रखें तथा वायुवीजन होने दें.
  • मुर्गीघर से मुर्गियों की चिचड़ी निरन्तर निकासी करें तथा वहाँ साफ-सफाई रखें इससे मुर्गियों का स्वास्थ्य ठीक-ठाक रहने में मदद मिलेगी।
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