पशुओं के लिये वरदान
पशुपालकों की तरफ से हरे चारे की कमी व सस्ते बांट की कमी की समस्या प्रमुखता से उठायी जाती रही है। बरसात के मौसम के अलावा पशुओं को फसल अवशेष एवं भूसे पर पालना पड़ता है। जिससे पशु बढ़ोत्तरी, उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल व विपरीत असर पड़ता है।
अजोला के गुण
अजोला जल सतह पर मुक्त रूप से तैरने वाली जलीय फर्न है। यह छोटे-छोटे समूह में सघन हरित गुच्छ की तरह तैरती है। भारत में मुख्य रूप से अजोला की जाति अजोला पिन्नाटा पायी जाती है। यह काफी हद तक गर्मी सहन करने वाली किस्म है।
रिजका एवं संकर नेपियर की तुलना में अजोला से 4 से 5 गुणा उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन प्राप्त होती है। तथा इसका उत्पादन भी रिजका व नेपियर से 4 से 10 गुना तक अधिक उत्पादन देता है।
अजोला की पशु आहार के रूप में उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, धौलपुर ने सर्वप्रथम अजोला को कृषकों तक पहुंचाने व उपयोग कराने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केन्द्र, धौलपुर पर गत मार्च में एक एजोला प्रदर्शन इकाई स्थापित की है। केन्द्र पर स्थापित की गई इकाई से किसानों को प्रशिक्षण के माध्यम से प्रेरित करके जिला धौलपुर के ग्रामों में अजोला इकाई स्थापना हेतु किसानों को केन्द्र द्वारा नि:शुल्क अजोला बीज प्रदान किये गये।
केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक शिवमूरत मीणा के अथक प्रयास के कारण मात्र दो महीने के अल्पकाल में जिला धौलपुर के गांव खेरली, पंचगांव, सरकनखेडा, बाड़ी, धौलपुर शहर, विरौदा, पिदावली व रूपसपुर में किसानों ने अजोला इकाई की स्थापना करके आज पशुओं को हरे चारे के रूप में अजोला खिला रहे हैं। अजोला को वृहत स्तर पर प्रसार के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केन्द्र, धौलपुर ने अन्य कृषि विज्ञान केंद्र, करौली, यू.पी. का आगरा व एम.पी. के भिंड, ग्वालियर व मुरैना आदि को भी अजोला इकाई स्थापना हेतु तकनीकी जानकारी प्रदान की है।
अजोला का रखरखाव व सावधानियां
द्य क्यारी में जल स्तर को 1.0 सेमी तक बनाये रखें.
द्य प्रत्येक तीन माह पश्चात अजोला को हटाकर पानी व मिट्टी बदलें तथा नई क्यारी के रूप में दोबारा पुन: संवर्धन करें.
द्य अजोला को अच्छी बढ़वार हेतु 20-35 सेन्टीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है।
द्य शीतऋतु में तापक्रम 6.0 सेंटीग्रेड से नीचे आने पर अजोला क्यारी को प्लास्टिक मल्च अथवा पुरानी बोरी के टाट अथवा चद्दर से रात्रि में ढंक दें।
अजोला उत्पादन इकाई स्थापना में क्यारी निर्माण, सिलपुटिनशीट, छायादार नायलोन, जाली एवं अजोला बीज की लागत पशुपालक को प्रतिवर्ष नहीं देनी पड़ती है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए अजोला उत्पादन लागत लगभग 1.00 रु. किलो से कम आंकी गयी है।
अजोला पानी से फूल व सब्जी की खेती में लाभ
अजोला क्यारी से हटाने पानी को सब्जियों की खेती में काम में लेने से यह एक वृद्धि नियामक कार्य करता है, जिससे सब्जियों एवं फूलों के उत्पादन में वृद्धि होती है। अजोला एक उत्तम जैविक एवं हरी खाद के रूप में कार्य करता है।
कृषि विज्ञान केंद्र, धौलपुर पशुपालकों को सलाह देता है कि अजोला उत्पादन की तकनीकी जानकारी प्राप्त करने के लिेय केंद्र से संपर्क करें तथा अजोला पर प्रशिक्षण प्राप्त कर पशुओं के लिये अजोला इकाई स्थापित करें।