एमू पालन वैकल्पिक व्यवसाय
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15-18 माह की आयु एक एमू में लगभग 5 लीटर तेल प्राप्त होता है। यह तेल या वसा एक असंतृप्त वसा है एवं इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों एवं आर्थराइटिस के लिये बनायी जाने वाली क्रीम को बनाने के लिए किया जाता है। एमू के मांस में वसा तथा कोलेस्ट्राल कम मात्रा में पाया जाता है। 100 ग्राम एमू के मांस में लगभग 23.3 ग्राम प्रोटीन, 109 कैलोरी ऊर्जा, 57.5 मिग्रा. कोलेस्ट्रॉल, 1.7 ग्राम वसा एवं 0.6 ग्राम संतृप्त वसा पाया जाता है। एमू के त्वचा से बने चमड़े का उपयोग फैशन उद्योगों में किया जाता है।
एमू पालन की वर्तमान स्थिति आर्थिक मूल्यों को स्वीकार करते हुए, ऑस्ट्रेलियन सरकार ने वर्ष 1975 में एमू पालन के लिये योजनाएं चलायी। यह कार्य अमेरिका, फ्रांस एवं अन्य यूरोपीय देशो में भी प्रसारित हुआ। अमेरिका में लगभग 10,000 एमू फार्म एवं एक संस्था की स्थापना वर्ष 1998 में की गयी।
एमू पालन भारत में अभी शुरूआती चरणों में है। एमू फार्म भारत में वर्ष 1998 में कई राज्यों में स्थापित किया गया, जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पांडिचेरी इत्यादि।
एमू के चूजे– एमू के चूजों की लंबाई जन्म के समय 10 इंच, शरीर पर काली सफेद धारियां एवं वजन 450-500 ग्राम होता है। 2 माह की आयु के चूजों के शरीर पर लंबवत् धारियाँ होती हैं। एवं जैसे-जैसे इनकी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे ये धारियाँ खत्म होती जाती हैं एवं शरीर पर काले -भूरे रंग के पंख उत्पन्न होने लगते हैं एमू जब पूर्ण रूप से परिपक्व हो जाते हैं, तब गला नीले रंग का हो जाता है। इनके सिर पर काले रंग के पंख पाये जाते हैं।
एमू से प्राप्त होने वाला तेल/वसा– एक परिपक्व एमू से लगभग 5-6 लीटर वसा/तेल प्राप्त होता है, जिससे किसी भी प्रकार की गंध, स्वाद एवं कोई रंग नहीं होता है।
एमू से प्राप्त होने वाले वसा/तेल के गुण एवं उपयोग– एमू से प्राप्त वाला तेल तीक्ष्ण, नमी अवशोषक दर्दनिवारक एवं शामक लेप होता है। यह एंटीएलर्जिक भी होता है। इसका उपयोग दर्दनाशक दवाओं (क्रीम) जलने की दवाओं (लेप), आर्थराइटिस तथा घाव इत्यादि के उपचार के लिये बनाई जाने वाली औषधियों में किया जाता है।
एमू से प्राप्त होने वाले अन्य उत्पाद– एमू से वसा/तेल के अलावा भी अन्य उपयोगी उत्पाद भी प्राप्त किये जा सकते हैं, जैसे :1
एमू से प्राप्त होने वाला मांस- एमू का मांस लाल रंग, कोमल एवं कम कोलेस्ट्रॉल युक्त (98 प्रतिशत वसामुक्त) होता है। एमू के मांस में मुर्गी, टर्की, सुअर तथा भैंस के मांस की तुलना में कम मात्रा में वसा पाया जाता है। अमेरिकन हृदय संस्था (एएचए) ने एमू के मांस को हृदय रोगियों के लिए सुरक्षित माना है।
एमू से प्राप्त होने वाला चमड़ा– एमू की त्वचा कोमल व मजबूत होती है तथा इससे बनने वाले चमड़ो का प्रयोग बेल्ट, जूते, बैग, जर्किन, सीट कवर इत्यादि बनाने में किया जाता है।
एमू से प्राप्त होने वाले पंख– एमू के पंख कोमल, रंगीन, सुंदर एवं एलर्जी रहित होता है। जिसका उपयोग हैट, कपड़े ब्रुश एवं कई सजावटी सामान बनाने में किया जाता है।
एमू उद्योग– विश्व के कई उत्पादक अब एमू पालन को भी बढ़ावा दे रहे हैं। अधिक उपयोगी वस्तुएं या उत्पाद जैसे तेल, चमड़ा इत्यादि प्राप्त होने इनके बाजार मूल्य अधिक होने के साथ ही प्रबंधन आसानी होने के कारण यह उत्पादकों के लिये एक प्रलोभन भी है। एमूपालन से अन्य पशुपालनों की तुलना में अधिक आय प्राप्त होती है। जैसे-जैसे उद्योगों का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे छोटे एवं बड़े उत्पादकों के लिये लाभ कमाने की संभावनाएं भी बढ़ती जा रही हैं।
एमू से संबंधित कुछ रोचक तथ्य उत्पत्ति – ऑस्ट्रेलिया |
एमू के खानपान संबंधित प्रबंधन
एमू के आहार का उदाहरण
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