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भूसा प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र

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स्ट्रा रीपर/स्ट्रा कम्बाईन:- स्ट्रा कम्बाईन का प्रयोग हार्वेस्टर के परिचालन उपरांत फसल की बची हुई खूटी एवं फेके गए पुआल (भूसा) को एकत्रित करने हेतु किया जाता है। यह मशीन भूसे में से लगभग 50 किलो प्रति हेक्टेयर दोनों की रिकवरी करने से भी मदद करती है। स्ट्रा कम्बाईन को ट्रैक्टर के पीटीओं द्वारा चलाया जाता है। जिसमें कटर बार, रील, फिडिंग बरमा और पांरपरिक थ्रेसर जैसा ब्रसिंग सिलेन्डर होता हैै। इस मशीन द्वारा हार्वेस्टर के परिचालन उपरांत फसल की बची हुई खूटी एवं फेंके गए पुआल को एकत्रित कर मशीन के सिलेन्डर कनकेव में भेजा जाता है जहां पर हम छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर कनकेव से पारित किया जाता है। फसल की बची हुई खूटी एवं कम्बाईन द्वारा न काटे गए भूसे का काटने हेतु रेसिप्रीकेटिंग कटर बार का प्रयोग किया जाता है। भूसा जो इनकेव से पारित होता है। उसे एस्पिरेटर ब्लोअर की मदद से तार की जाल से कवर की हुई ट्रैक्टर-ट्रॉली में एकत्रित किया जाता है। भूसे में से दाने की रिकवरी हेतु कनमेव के नीचे एक छलनी लगाई जाती है। इस मशीन की कार्य क्षमता 0.4 हेक्टेयर/घण्टा है इसको चलाने के लिए 35 या अधिक का ट्रैक्टर शक्ति (पावर) की आवश्यकता होती है।

भारत कृषि प्रधान देश है जहां अत्याधिक धान/गेहूँ की खेती होती है तथा प्रतिवर्ष धान उत्पादन में 50 प्रतिशत फसल के अवशेष बच जाते हैं, हार्वेस्टर से धान और गेहूँ की कटाई के बाद खेत में फसल का पुआल (भूसा) खड़ा रह जाता है, किसान खेत को अगली फसल के लिए खाली करने के लिए इस पुआल (भूसा) में आग लगा देते हैं, जो बड़े पैमाने पर खेतों में फसल के कचरे में आग लगाने में वातावरण में धुंध की परत जमा हो जाती है और मृदा की उर्वरक क्षमता नष्ट होने लगती है। यह आज देश में बड़ी समस्या बन गयी है। खेतों में आग लगने से। अत: इन्हें रोकने के लिए राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण (मृदा) के निर्देशों का पालन करते हुए खेतों में फसलों के अवशेषों को जलाने पर रोक लगा दी गई है। जो भी किसान या संस्था इन निर्देशों का उल्लघंन करेगी उसमें पर्यावरण की क्षतिपूर्ति के एवज़ में जुर्माना वसूला जाएगा जो इस प्रकार है दो एकड़ से कम के खेतों को आग लगाने पर ढाई हजार, दो से पांच एकड़ तक दर पांच हजार और पांच एकड़ से ज्यादा के खेतों के मालिक पर 15 हजार का जुर्माना वसूला जाएगा। पंजाब और हरियाणा में पहले से ही रोक लगी हुई है। उत्तरप्रदेश, दिल्ली और राजस्थान की सरकारों ने भी इस पर जुर्माना लगाया हुआ है, लेकिन इन आदेशों का पालन कहीं नहीं किया जाता-आज भी दिनों-दिन खेतों में आग लगी हुई दिखाई देती है। जिससे बहुत सारी समस्या उत्पन्न हो रही है। जैसे कि पर्यावरण प्रदूषण के साथ खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों को नुकसान होता है। अत: इन समस्याओं के निवारण के लिए कृषि उपकरणों की उपयोगिता को बढ़ावा देना चाहिए। जिससें हार्वेस्टर से धान या गेहूँ की फसल कटाई के बाद खेतों में किसान को आग लगाने की जरूरत न पड़े एवं पर्यावरण एवं मृदा संरक्षण किया जा सके।

स्ट्रा बेलर:– स्ट्राबेलर का प्रयोग भूसे के आयताकार बेल तैयार करने हेतु किया जाता है। स्ट्राबेलर को ट्रैक्टर के पी.टी.ओ. द्वारा चलाया जाता है। जिसमें रील प्रकार की स्ट्रा पिकअप असम्बली और स्ट्रा को संघनन कर बांधने की इकाई होती है। यह स्वचालित रूप से रील की मदद से फील्ड में से स्ट्रा को उठाकर फीडर की मदद से बेल चेम्बर में स्थानांतरित करता है और उसके बाद रेसिप्रोकेटिंग रेम कि सहायता से स्ट्रा को दबाकर समुचित किया जाता है। और अलग-अलग लंबाई के चर तैयार किए जाते है। यह स्वचालित रूप से धातु के तार या नाइलॉन रस्सी का उपयोग कर गांठ बांधता है। इस मशीन का कार्य क्षमता 50 किलो/घण्टा एवं इस मशीन को चलाने के लिए 35 या अधिक ट्रेक्टर शक्ति (हा.पावर) की आवश्यकता होती है।
हैप्पी सीडर:– हैप्पी सीडर आधुनिक अंतर बोया मशीन है जों किसानों के बीच लोकप्रिय है। यह ट्रैक्टर मांइडेट मशीन है जो फसल के पुआल (भूसा) कटौती करता है। और गेहूं को मिट्टी में बोता है और बोने के रूप में बोने वाले क्षेत्र पर पुआल (भूसा) से कवर करता है। इसलिए किसान जमीन की तैयारी के लिए किसी भी फसल के अवशेष को जलाने की आवश्यकता के बिना अपने धान की फसल के तुरंत बाद गेहूं बोए जाते हैं। इस मशीन का कार्य क्षमता 0.25-0.35 हे./घण्टा है एवं इस मशीन को चलाने के लिए 45-55 ट्रैक्टर शक्ति (हा. पावर) एवं डबल क्लच की आवश्यकता होती है।

 हैप्पी सीडर अपनाने के लाभ:-

  • फसल के कटाई के बाद बिना जमीन तैयारी के गेहूं की बुआई। सिंचाई व जुताई की बचत करने में।
  • सिंचाई के पानी की बचत – खेत में तैयारी हेतु ऊर्जा बचत करने में।
  • गेहूं के समय पर पोषण।
  • प्रदूषण में कमी।
  • उपज में वृद्धि।
  • फसल अवशेष को जलाने की जरूरत नहीं।
  • कटा हुआ अवशेष के रूप में गीली घास नमी और तापमान संरक्षण में मदद करता है।
  • मल्टीक्रॉप लगाने में उपयोग करता है।
  • बीज की कतार से कतार बनाए रखने में।
  • कन्हैया लाल द्य पीयूष प्रधान
  • पंकज मिंज
    email : thakurkanhaiyalal@gmail.com

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