Uncategorized

कृषि आय पर कर कृत्रिम कृषकों से ही वसूल हो

पिछले दिनों भारत सरकार के वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने यह आश्वस्त किया कि सरकार का कृषि आय पर कोई भी कर लगाने की योजना नहीं है। वर्तमान में भी केंद्र सरकार के पास कृषि आय पर कर लगाने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। दूसरी ओर भारत सरकार के नीति आयोग के सदस्य श्री विवेक देवोरॉय ने कहा था कि कर आधार को बढ़ाने के लिये एक निश्चित सीमा के ऊपर कृषि आय पर कर लगाया जाना चाहिए। नीति आयोग के सदस्य द्वारा कृषि आय पर कर लगाने की चर्चा की शुरूआत तो हो ही गयी है। हो सकता है कि भारत सरकार चर्चा का आरंभ कर भविष्य में नीति आयोग इस पर कोई निर्णय ले ले तो  कोई आश्चर्य नहीं होगा।
देश के वास्तविक किसान इस स्थिति में नहीं हैं कि वह कृषि आय पर कर के भार को सहन कर सकें। उनकी कृषि से आय उनके गुजारे भर को ही हो पाती है। वे वर्तमान आय कर नियमों के अंर्तगत भी कर दायरे में नहीं आयेंगे। किसानों की मेहनत का फायदा तो बिचोलियों को होता है जो किसान के उत्पात की कीमत तय करते हंै और पैसों के बल पर कुछ समय तक उनके सस्ते में खरीदे उत्पात को स्टोर कर ऊंचे दामों में बेचते हैं। यदि सरकार को कृषि आय पर कर ही लगाना हो तो उन कृत्रिम किसानों पर लगायें जो अन्य व्यवसायों से जुड़े हुए हैं। और अपनी आय छुपाने के लिये अपने  ऊपर कृषक का भी ठप्पा लगाये हैं।
देश में लगभग 70 प्रतिशत किसानों के पास एक हेक्टर के कम जमीन है। केवल 0.4 प्रतिशत किसान ही 10 हेक्टर से अधिक जमीन के मालिक हैं। एक हेक्टर से कम जमीन वाले किसानों को किसी भी रूप में कृषि आय पर कर के दायरे में लाना एक बड़ी भूल होगी। यदि कृषि आय पर कर लगाना है तो उन व्यक्तियों तथा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को चिन्हित करना होगा  जो कृषि आय के नाम पर कर छूट का लाभ ले रहे हैं। वर्ष 2014 में इन्होंने 9,338 करोड़ रुपये का लाभ लिया। शिमला के सेब के बगीचे के एक राजनीतिक मालिक जिनकी सेब बगीचे से आय वर्ष 2009 तक 10 से 20 लाख रुपये हुआ करती थी अचानक उनकी वर्ष 2012 में बगीचे से आय 6.5 करोड़ रुपयों तक पहुंच गयी। अन्य स्रोतों से हुई आय के कर को बचाने के लिये कृषि आय का सहारा लिया गया। अन्य स्रेतों से हुई आय को कृषि आय बताने वालों कृत्रिम किसानों से यदि कृषि आय पर कर वसूला जाये तथा दंडित किया जाये तो किसी वास्तविक किसान को कोई आपत्ति नहीं होगी।

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *