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सेवानिवृत्ति के बाद दूध से कमाई कर रहे हैं लिखनलाल

प्राय: देखा जाता है कि शासकीय सेवा से निवृत्त होने के बाद व्यक्ति में कुछ नया करने की ललक नहीं रहती है। लेकिन लिखनलाल पटले ने इस धारणा को झुठला दिया है, वे शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्नत नस्ल के पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के व्यवसाय में लग गये हैं। उन्हें अपने इस नये व्यवसाय से हर माह 40 से 45 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हो रहा है। लिखनलाल पटले ने अपनी लगन से अन्य लोगों को भी नई राह दिखाई है।
वारासिवनी तहसील के ग्राम मुरझड़ रहने वाले लिखनलाल पटले शिक्षक के पद पर शासन को अपनी सेवायें देने के बाद 31 जुलाई 2017 को सेवानिवृत्त हो गये है। शासन की सेवा से मुक्ति पाने के बाद उन्होनें खाली बैठना पसंद नहीं किया और पशुपालन में अपनी रूचि को देखते हुए वारासिवनी के पशु चिकित्सक डॉ. एनडी पुरी से सम्पर्क किया। डॉ. पुरी ने उन्हें उन्नत प्रजाति की देशी नस्ल की गायें पालने की सलाह दी और आचार्य विद्यासागर योजना के अंतर्गत गौसंवर्धन के लिए ऋण प्रकरण तैयार करा दिया। बैंक ऑफ महाराष्ट्र वारासिवनी से उन्हें गायें खरीदने के लिए ऋण स्वीकृत हो गया तो उन्होंने पशुधन विकास निगम से देशी प्रजाति गिर नस्ल की 05 गायें खरीद ली है।
लिखनलाल पटले अपनी गिर नस्ल की गायों को लेकर बालाघाट में प्रारंभ हुए जैविक किसान सम्मेलन में आये थे। उन्होंने बताया कि उन्हें शासन से जो ऋण मिला है उससे गिर नस्ल की 05 गायें खरीदी हैं। उन्हें बैंक से 6 लाख 30 हजार रुपये की राशि ऋण के रूप में और मिलना है। इस राशि से 05 गायें और खरीदी जाना है। उन्होंने बताया कि 05 गायों से उन्हें हर दिन 40 से 45 लीटर दूध मिल रहा है। यह दूध वे शासकीय डेयरी में प्रदाय कर रहे हैं। इससे उन्हें हर माह से 45 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हो रहा है।
लिखनलाल पटले ने बताया कि देशी नस्ल की गायें पालने का उनका धंधा बहुत अच्छा है। इससे उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद काम की कमी महसूस नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि वे अपने घर पर कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गियां भी पाल रहे है। कड़कनाथ प्रजाति की कुछ मुर्गियां वे झाबुआ से लेकर आये थे। अब उन्होंने अपने फार्म पर कड़कनाथ मुर्गियों की हेचरी ही बना ली है।

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